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वैक्सीनेशन की बाधाओं को दूर करे सरकार, वैक्सीनेशन की मौजूदा रफ्तार से 70 प्रतिशत आबादी को 2022 के अंत तक लगेगी वैक्सीनेशन 

वैक्सीनेशन की बाधाओं को दूर करे सरकार, वैक्सीनेशन की मौजूदा रफ्तार से 70 प्रतिशत आबादी को 2022 के अंत तक लगेगी वैक्सीनेशन

देहरादून।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटी फाउंडेशन ने राज्य में वैक्सीनेशन की बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया। साफ किया कि वैक्सीनेशन की मौजूदा रफ्तार के अनुसार 70 प्रतिशत आबादी को 2022 के अंत तक टीके लग सकेंगे।
फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने कहा कि हर्ड इम्यूनिटी को उत्तराखंड में कुल आबादी के कम से कम 70 प्रतिशत हिस्से को वैक्सीन की दोनों डोज दिया जाना आवश्यक है। अब तक सामने आये नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि उत्तराखंड की 70 प्रतिशत आबादी (80 लाख से ज्यादा) आबादी को सम्पूर्ण टीकाकरण करने में 16 से 18 महीने और लगेंगे।
सरकार को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि अभी तक जो नतीजे सामने आये हैं, उनके अनुसार वैक्सीनेशन में कई बाधाएं आ रही हैं। जब तक इन बाधाओं को दूर नहीं किया जाता, तब तक सर्विलांस, डेथ रेट और पाजिटिविटी रेट को देखते हुए लाकडाउन लगाने या खोलने को लेकर कोई तय निर्णय लिया जाना चाहिए। उत्तराखंड को देश के दूसरे राज्यों द्वारा उठाये जा रहे कदमों की नकल करने के बजाय राज्य की विषम परिस्थितियों और अब तक के विकास को ध्यान में रखकर निर्णय लेना होगा।
हमें प्रयास करने होंगे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों या सभी लोगों को हर हाल में वैक्सीन की पहली डोज दी जाए। इसके साथ ही हमें उन लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो उम्र के और स्वास्थ्य की दृष्टि से संवेदनशील है।
फिलहाल उन वर्गों पर फोकस किया जाना चाहिए जो टीबी, डायबिटीज आदि के मरीज हैं और अभी तक वाइरस की चपेट में नहीं आये हैं। हमें प्रयास करना चाहिए कि हम उन जगहों पर वैक्सीनेशन न करें, जहां संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जहां उचित व्यवस्थाएं नहीं हैं, वहां भी वैक्सीनेशन नहीं किया जाना चाहिए, ताकि लोगों को वैक्सीनेशन के तुरंत बाद संक्रमण जैसी स्थिति से बचाया जा सके।

छोटे छोटे कैंप पर हो फोकस
उत्तराखंड जैसे छोटे और पर्वतीय राज्य के लिए आवश्यक है कि छोटे लेकिन, संख्या में ज्यादा वैक्सीनेशन सेंटर बनाये जाएं। अब तक हमारे वैक्सीनेशन सेंटर में कम या मध्यम संख्या में लोग टीका लगवाने पहुंचे हैं। ऐसे में हमें बहुत बड़े वैक्सीनेशन कैंप के बजाए छोटे -छोट कैंप लगाने की जरूरत है। राज्य के पर्वतीय और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग की आवश्यकता है। शहरी क्षेत्रों में भी बुजुर्गों के लिए मोबाइल टेस्टिंग एक अच्छी पहला साबित हो सकती है। राज्य के सैन्य और अर्द्ध सैन्य बलों में काम करने वाले और सेवानिवृत्त हो चुके लोगों के साथ उनके परिवारों का सरकारी और प्राइवेट सेंटर्स पर निःशुल्क टीकाकरण आवश्यक है। राज्य सरकार को इसके लिए केंद्र सरकार से बातचीत करके लाभ उठाना चाहिए।

विशेषज्ञ टीम में अफसरशाही हावी न हो
राज्य में स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है। लेकिन यहां इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए कि इस ग्रुप पर अफसरशाही हावी न हो। विशेषज्ञों का यह दल तथ्यों का अध्ययन करके वैज्ञानिक तरीके से रणनीति तैयार करे। जन स्वास्थ्य के मुद्दे पर विशेषज्ञों की टीम द्वारा लिए गये फैसलों को आधार बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। इसमें अधिकारियों के हस्तक्षेप का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

दूसरे राज्य की बेस्ट प्रैक्टिस पर फोकस
देश के अन्य गांवों, नगरों, शहरों, जिलों अथवा विभिन्न राज्यों में अपनाई जा रही रणनीति और कार्य प्रणाली का अध्ययन किया जाना चाहिए। जहां जो कुछ बेहतर किया गया है, उसे उत्तराखंड में अपनाया जाना चाहिए। राजस्थान के नागौर जिले के खुदी कलां गांव में एक मई, 2021 तक इस गांव में 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी थी। स्थानीय प्रशासन के अनुसार इस गांव में इस आयुवर्ग के एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई।

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