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ऊर्जा निगम के लचर, लापरवाह प्रबंधन से घाटा पहुंचा 577 करोड़, स्टील कंपनियों और बिजली चोरों पर मेहरबानी से घाटे में पहुंचा निगम 

ऊर्जा निगम के लचर, लापरवाह प्रबंधन से घाटा पहुंचा 577 करोड़, स्टील कंपनियों और बिजली चोरों पर मेहरबानी से घाटे में पहुंचा निगम

देहरादून।

ऊर्जा निगम के कमजोर, लचर, लापरवाह प्रबंधन के कारण मुनाफे में रहने वाला निगम 577 करोड़ के घाटे में पहुंच चुका है। इंजीनियरों की स्टील कंपनियों और बिजली चोरों पर बरती जाने वाली मेहरबानी ने घाटे का रिकॉर्ड बना दिया है।
ऊर्जा निगम के घाटे की एक बड़ी वजह बिजली चोरी है। हर साल 13.40 प्रतिशत बिजली का लाइन लॉस रहता है। बिजली चोरी के रूप में इस लाइन लॉस से सालाना 945 करोड़ का नुकसान ऊर्जा निगम को होता है। इसमें भी सबसे अधिक चोरी रुड़की और काशीपुर सर्किल में होती है। स्टील कंपनियों के स्तर पर सबसे अधिक बिजली चोरी की शिकायतें रहती हैं।
घाटे की एक बड़ी वजह अफसरों की स्टील कंपनियों पर मेहरबानी भी है। करोड़ों के बिजली बिलों का समय पर भुगतान नहीं किया जाता। बार बार उनके लिए किश्तों का प्रावधान होता है। एक कंपनी के लिए तो रिकॉर्ड 29 किश्तें तक की गईं। इसके बाद भी कंपनी ने भुगतान नहीं किया।
ऊर्जा निगम का घाटा इस बार बढ़ कर 577 करोड़ पहुंच गया है। बोर्ड बैठक में रखी गई बैलेंस शीट में इस घाटे का खुलासा हुआ। 2017 में ये घाटा 229 करोड़ था, जो अब दोगुना से भी कहीं ज्यादा बढ़ गया है। इस बढ़ते घाटे का खामियाजा आम जनता बढ़े हुए बिजली बिलों के रूप में भुगत रही है। यदि ये घाटा कम हो जाए, तो बिजली की मौजूदा दरों में और भी कमी आ जाएगी। ऊर्जा निगम इन तमाम घाटों को अपने सालाना खर्च के ब्यौरे में दिखा कर विद्युत नियामक आयोग को भेजे जाने वाले प्रस्ताव में शामिल करता है। इसका सीधा असर बिजली दरों के निर्धारण में पड़ता है।

ऐसे बढ़ता चला गया घाटा
ऊर्जा निगम का 2016-17 में घाटा 229 करोड़ रहा। जो 2017-18 में 625 करोड़ पहुंचा। 2018-19 में 537 और 2019-20 में बढ़ कर 577 करोड़ हुआ।

राजस्व बढ़ रहा, तो कैसे बढ़ रहा घाटा
ये घाटा तब बढ़ रहा है, जब हर साल यूपीसीएल का सालाना राजस्व बढ़ रहा है। सालाना राजस्व पिछले वर्ष से 630 करोड़ बढ़ कर 6941 करोड़ पहुंच गया है। जबकि कोविड के कारण नगद राजस्व वसूली अभी भी 272 करोड़ रुपये कम रही। बिजली बिलों की बिलिंग और राजस्व वसूली तक शत प्रतिशत न होने का सीधा असर इस बढ़ते घाटे पर पड़ रहा है।

सरकार के भी दबाए बैठे हैं 1200 करोड़
राज्य में मौजूद पॉवर प्रोजेक्ट से साढ़े 12 प्रतिशत बिजली निशुल्क उत्तराखंड को मिलती है। ऊर्जा निगम को इस फ्री पॉवर का पैसा सरकार को लौटाना होता है। लेकिन खराब माली हालत के कारण पिछलेसा ल 829 करोड़ में से सिर्फ 29 करोड़ का ही भुगतान किया गया। इस साल भी दो तिमाही गुजरने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ है। करीब 1200 करोड़ का भुगतान किया जाना है।

सख्ती बरतने के निर्देश
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बता किया इस घाटे को कम करने के लिए बिलिंग और राजस्व वसूली शत प्रतिशत सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्व वसूली में किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जो भी अफसर राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। बिजली चोरी के खिलाफ सख्ती से अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

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