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सुप्रीम कोर्ट से बड़े सचिवालय के अफसर, बाबू, पीसीएस प्रकरण में पूरे सिस्टम को घुमा रहे 

सुप्रीम कोर्ट से बड़े सचिवालय के अफसर, बाबू, पीसीएस प्रकरण में पूरे सिस्टम को घुमा रहे

देहरादून।

2002 बैच के पीसीएस अफसरों का आईएएस में प्रमोशन होना है। सुप्रीम कोर्ट भी पीसीएस अफसरों के पक्ष में फैसला दे चुका है। दूसरे पक्ष को भी इसमें अब कोई बहुत ज्यादा एतराज नहीं है। इसके बावजूद सचिवालय के कुछ अफसर और एक बाबू पूरे सिस्टम को घुमाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक को नहीं माना जा रहा है। शासन, सरकार को उलझाया जा रहा है। मामला अब सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का बन रहा है। इसके बाद भी किसी को कोई चिंता नहीं है।
गजब ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में शासन स्तर पर तय वरिष्ठता पर ही मुहर लगाई है। शासन स्तर पर पूर्व में पीसीएस अफसरों की जो वरिष्ठता तय की थी। उसे प्रमोटी पीसीएस अफसरों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने फैसला प्रमोटी पीसीएस अफसरों के पक्ष दिया। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में पीसीएस अफसरों ने चुनौती दी। लंबे इंतजार के बाद फैसला पीसीएस अफसरों के पक्ष में आया। छह महीने पहले आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अभी सचिवालय में फाइलों में घुमाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा में कार्मिक विभाग के दिग्गज जुटे हुए हैं।
सूत्रों की माने तो कार्मिक विभाग के कुछ बाबू और अफसरों के लिए सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला गले की फांस बन गया है। इस फैसले को लागू करते ही कार्मिक विभाग की एक बड़ी गड़बड़ी भी खुला जाएगी। यही डर कार्मिक विभाग को सताए जा रहा है। उस पर पर्दा पड़ा रहे, इसके लिए इस पूरे मसले को उलझाया जा रहा है। 2002 बैच के पीसीएस अफसरों के बाद एक दूसरे बैच के पीसीएस अफसरों को कार्मिक विभाग ने प्रमोटी पीसीएस अफसरों से नीचे कर दिया है। पीसीएस अफसर जहां अभी भी एसडीएम के पद संभाले हुए हैं। वहीं नायब तहसीलदार प्रमोट हुए अफसरों को सिटी मजिस्ट्रेट समेत तमाम अहम पदों पर बैठा दिया गया है। उनकी तदर्थ सर्विस को जोड़ कर 6600 ग्रेड पे तक का लाभ पहले दे दिया गया है। जो लाभ उन्हें बाद में मिलना था, वो भी समय से पहले दे दिया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट तदर्थ सेवा को खारिज कर चुका है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब कार्मिक विभाग का ये फैसला भी सवालों के घेरे में है। कैसे अफसरों ने 2002 के पीसीएस अफसरों के लिए तय वरिष्ठता सूची के प्रावधानों को नजर अंदाज करते हुए बाद के बैच में अलग नियम बना दिए। अब शासन को सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करना है। इसका असर बाद के कार्मिक विभाग के तमाम गलत फैसलों पर भी पड़ेगा। तमाम फैसले पलटे जाएंगे। इसी को लेकर बाबूजी परेशान है।

आईएएस अफसरों के आंखों की भी किरकिरी बने हैं ये पीसीएस अफसर
राज्य की नौकरशाही में आईएएस संवर्ग अपने आप को सबसे उच्च मानता है। किसी भी दूसरे संवर्ग के अफसर का आगे बढ़ना, उसे बिल्कुल भी नहीं सुहाता। आईपीएस हो आईएफएस या पीसीएस। आईएएस अफसरों को मालूम है कि जैसे ही 2002 बैच के इन पीसीएस अफसरों का आईएएस में प्रमोशन होगा, तत्काल राज्य के कई जिलों की कमान इनके हाथ में आ जाएगी। क्योंकि 2002 बैच के कई पीसीएस अफसर अभी भी राज्य के आईएएस अफसरों पर भारी है। मसला कामकाज का हो, या फिर जनता के बीच पकड़ या फिर राजनीतिक दलों में पकड़ का, ये पीसीएस अफसर आईएएस पर भारी हैं। ऐसे में आईएएस लॉबी अभी कुछ और समय इनके प्रमोशन को उलझाने की तैयारी में है। ताकि तब तक जिलों में नई तैनाती की गुंजाइश ही न बचे।

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