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कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बड़ा झटका, त्रिवेंद्र सरकार ने वापस ली ये बड़ी जिम्मेदारी, फैसले के बड़े सियासी मायने 

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बड़ा झटका, त्रिवेंद्र सरकार ने वापस ली ये बड़ी जिम्मेदारी, फैसले के बड़े सियासी मायने

देहरादून।

त्रिवेंद्र रावत सरकार ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बड़ा सियासी झटका दिया है। श्रम मंत्री हरक सिंह से सरकार ने भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी वापस ले ली है। इस पद की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के बेहद विश्वस्त श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को अतिरिक्त रूप से दी गई है। सचिव श्रम हरबंस सिंह चुघ के स्तर से ये चौंकाने वाला आदेश जारी हुआ है। इस आदेश के बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
श्रम मंत्री से बोर्ड अध्यक्ष की ये जिम्मेदारी ऐसे समय पर वापस ली गई है,जब भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की कार्यशैली लगातार विवादों में है। ये विवाद बोर्ड श्रम मंत्री हरक सिंह के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के दौर से ही शुरू हो गए थे। एक्ट के विरुद्ध जाकर अध्यक्ष पद संभालने के आरोप लगे। क्योंकि 2005 में गठित हुए बोर्ड में पहले अध्यक्ष पद का दायित्व सचिव श्रम के पास रहता था। बोर्ड में सचिव का दायित्व श्रमायुक्त के पास रहता था। 2017 में बोर्ड में इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया। इसे एक्ट का उल्लंघन तक करार दिया गया। श्रम मंत्री हरक सिंह ने न सिर्फ स्वयं बोर्ड अध्यक्ष का पद संभाला, बल्कि सचिव का जिम्मा भी दमयंती रावत को दिया। दमयंती रावत ने पिछली सरकार में भी हरक सिंह रावत के कृषि मंत्री रहते हुए जैविक उत्पाद परिषद का भी जिम्मा संभाला था। दमयंती को शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति में लाने पर भी विवाद खड़ा हुआ था। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने तो एनओसी न देने का भी ऐलान किया था। बढ़ते विवाद पर सरकार को दखल तक देना पड़ा था।

लंबे समय से विवादों में रहा बोर्ड
बोर्ड का कामकाज लंबे समय से विवादों में रहा। कभी हाईकोर्ट में दाखिल पीआईएल, जिसमें बोर्ड के बजट के दुरुपयोग के आरोप लगे। तो कभी साइकिल गैर श्रमिकों को बांटने के आरोप रहे। आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के हाथों साइकिल बंटने का भी बड़ा विवाद हुआ। जिसमें डीएम देहरादून को जांच सौंपी गई है। श्रम मंत्री की पुत्रवधु से जुड़े एनजीओ को लाभ पहुंचाने के आरोपों को लेकर तो पीआईएल तक दाखिल हुई। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तक तलब किया।

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