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सीएम त्रिवेंद्र ने 44 साल बाद पूरा कराया लखवाड़ बांध का सपना, वर्ष 1976 में पहली बार योजना आयोग ने प्रोजेक्ट को दी थी मंजूरी, 44 साल पहले देखा गया सपना होगा पूरा, वर्ष 1987 में शुरू हुआ था काम, चार साल बाद ही 1992 में ही रोक दिया गया प्रोजेक्ट

सीएम त्रिवेंद्र ने 44 साल बाद पूरा कराया लखवाड़ बांध का सपना, वर्ष 1976 में पहली बार योजना आयोग ने प्रोजेक्ट को दी थी मंजूरी, 44 साल पहले देखा गया सपना होगा पूरा, वर्ष 1987 में शुरू हुआ था काम, चार साल बाद ही 1992 में ही रोक दिया गया प्रोजेक्ट

देहरादून।

300 मेगावाट क्षमता के लखवाड़ जल विद्युत परियोजना का ख्वाब 44 साल बाद जाकर पूरा होगा। वर्ष 1976 में पहली बार योजना आयोग ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। वर्ष 1987 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ, लेकिन चार साल बाद ही 1992 में ही काम रोक दिया गया।
2017 में दोबारा काम शुरू करने की तैयारी हुई, तो एनजीटी ने रोक लगा दी। आधार बनाया गया कि वर्ष 1987 में मिली पर्यावरणीय मंजूरी के बाद अब हालात बदल गए हैं। इसीलिए नये सिरे से पर्यावरणीय आंकलन कराया जाए। इस पर दोबारा ईआईए कराया गया। जनसुनवाई का लंबा दौर चला। अब जाकर विधिवत मंजूरी मिल पाई। जबकि लखवाड़ प्रोजेक्ट पर करीब 30 प्रतिशत काम पूरा भी हो गया है। डेम की स्टेपिंग के साथ ही अंदरुनी सड़कें बनी हुई हैं। पॉवर हाउस का अंडर ग्राउंड काम भी लगभग 80 प्रतिशत भी पूरा हो चुका है। इस प्रोजेक्ट पर 1987 से 1992 के बीच काम हुआ।
इस प्रोजेक्ट में 780 हैक्टेयर वन भूमि पहले ही हस्तान्तरित हो चुकी है। तो 105 हैक्टेयर नापभूमि का अधिग्रहण होने के साथ ही मुआवजा तक बंट चुका है। अब सिर्फ इस भूमि पर बसे 850 परिवारों को अनुग्रह राशि बांटी जानी है। जो राज्य सरकार 75 लाख प्रति हैक्टेयर तय कर चुकी है। अब इस प्रोजेक्ट के लिए सिर्फ 50 हैक्टेयर भूमि का और अधिग्रहण किया जाना है। इसमें भी करीब 50 परिवार आ रहे हैं।

चार साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट
लखवाड़ प्रोजेक्ट यदि अभी शुरू होता है,तो चार साल के भीतर इसे पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए एक समय सीमा तय कर दी गई है। ताकि काम समय पर पूरा हो सके। इसके साथ ही प्रोजेक्ट की लागत को सीमित रखा जाए। तय लागत पर ही काम पूरा हो सके।

केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार
लखवाड़ प्रोजेक्ट विधिवत तरीके से शुरू होने के लिए अब सिर्फ केंद्रीय कैबिनेट से मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट को हरी झंडी का इंतजार किया जा रहा है। इसके लिए सभी राज्यों के बीच एमओयू होना जरूरी था। जोकि अब हो चुका है।

टेंडर डॉक्यूमेंट पूरी तरह तैयार
लखवाड़ प्रोजेक्ट के लिए जल विद्युत निगम लिमिटेड के स्तर पर तैयारी पूरी हो चुकी है। एकबार तो पिछली सरकार में टेंडर तक जारी कर दिए गए थे। इस पर केंद्र की आपत्ति के बाद टेंडर रोके गए। निर्देश दिए गए कि केंद्र से विधिवत मंजूरी के बाद ही टेंडर जारी किए जाएं।

राज्य की कुल बिजली उत्पादन क्षमता –25 हजार मेगावाट
मौजूदा राज्य का बिजली उत्पादन –1300 मेगावाट
राज्य की बिजली जरूरत — 2000 मेगावाट
निकट भविष्य के पॉवर प्रोजेक्ट–120 मेगावाट ब्यासी प्रोजेक्ट, 300 मेगावाट लखवाड़, 330 मेगावाट किसाऊ हाइड्रो प्रोजेक्ट

छह राज्यों को होना है लाभ
देहरादून। 300 मेगावाट की लखवाड़ प्रोजेक्ट से उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा को पानी का लाभ मिलेगा। सभी राज्यों के सीएम की अंतिम मंजूरी दे चुके हैं। केंद्र की ओर से वित्तीय मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा। राज्य इस प्रोजेक्ट की सभी कागजी तैयारी पूरी कर चुका है।

लखवाड़ हाइड्रो प्रोजेक्ट की पर्यावरणीय मंजूरी को रिकॉर्ड टाइम में पूरा कराया गया है। अब सिर्फ वित्तीय स्वीकृति की औपचारिक मंजूरी मिलना शेष है। केंद्रीय कैबिनेट से वित्तीय मंजूरी मिलते ही टेंडर जारी कर दिए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट को तेजी के साथ पूरा किया जाएगा। राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में ये प्रोजेक्ट अहम साबित होगा।
राधिका झा, सचिव ऊर्जा

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