सीएम त्रिवेंद्र की मेहनत से राज्य में आएगा पौने छह हजार करोड़ का निवेश, सालाना होगी हजारों करोड़ की कमाई, मिलेंगे हजारों रोजगार, मंहगी बिजली से मिलेगी मुक्ति, लखवाड़ पॉवर प्रोजेक्ट को मिली पर्यावरणीय मंजूरी, सीएम त्रिवेंद्र रावत के नाम एक और उपलब्धि, 300 मेगावाट के लखवाड़ पॉवर प्रोजेक्ट से पर्यावरणीय मंजूरी की बाधा हुई दूर
तिलवाड़ा।
यमुना नदी पर बनने वाले 300 मेगावाट क्षमता के लखवाड़ पॉवर प्रोजेक्ट को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है। इसकी घोषणा सीएम त्रिवेंद्र रावत ने तिलवाड़ा में की।
सीएम ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर केंद्र ने पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी है। 300 मेगावाट की इस योजना पर पौने छह हजार करोड़ का बजट खर्च होगा। इस योजना से छह राज्यों को सिंचाई एवं पेयजल के लिए भी पानी मिलेगा। बिजली उत्पादन अलग होगा। योजना के इसी बहुद्देशीय महत्व को देखते हुए इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित किया गया है। योजना के निर्माण से 330 मिट्रिक क्युबिक मीटर अतिरिक्त जल की उपलब्धता होगी। इसका लाभ हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड को मिलेगा।
कहा कि 300 मेगावाट के इस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड को हर साल 572.54 मिलियन यूनिट बिजली मिलेगी। इसके साथ ही यमुना नदी में जल की उपलब्धता भी बढ़ेगी। नदी का संरक्षण एवं संवर्धन तो होगा ही, साथ ही दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यमुना नदी को पुनर्जीवन भी प्राप्त होगा। इस योजना की अनुमानित लागत 5747.17 करोड़ रुपए है। इसके जल घटक के 4673.01 करोड़ रुपए का 90 प्रतिशत खर्च का वहन केंद्र सरकार करेगा। शेष 10 प्रतिशत का वहन लाभान्वित राज्यों द्वारा किया जाएगा।
सिंचाई, पेयजल पर खर्च होंगे 2578.23 करोड़
लखवाड़ प्रोजेक्ट कुल 5747.17 करोड़ रुपये लागत का है। इस परियोजना से जुड़े सिंचाई और पेयजल की व्यवस्था को लेकर कुल 90 प्रतिशत के रूप में भार केन्द्र सरकार स्वयं वहन करेगी। शेष 10 प्रतिशत का खर्च छह राज्यों के बीच बराबर आपस में बंटेगा। इसमें हरियाणा को 123.29 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में से प्रत्येक राज्य को 86.75 करोड़ रुपये, राजस्थान को 24.08 करोड़ रुपये, दिल्ली को 15.58 करोड़ रुपये तथा हिमाचल प्रदेश को 8.13 करोड़ रुपये देने होंगे।
लखवाड़ प्रोजेक्ट पर नजर
लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनेगा। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसके साथ ही इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध होगा। प्रोजेक्ट के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को किये गये समझौते के अनुरूप होगा।