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सीएम त्रिवेंद्र का बड़ा फैसला, गंगा के एस्केप चैनल के आदेश को किया निरस्त, सीएम के वादा निभाने पर संतों ने दिया आर्शीवाद 

सीएम त्रिवेंद्र का बड़ा फैसला, गंगा के एस्केप चैनल के आदेश को किया निरस्त, सीएम के वादा निभाने पर संतों ने दिया आर्शीवाद

देहरादून।

सीएम त्रिवेंद्र रावत ने गंगा के एस्केप चैनल के आदेश को निरस्त कर दिया है। सीएम ने बड़ा फैसला लेते हुए संतों से किया वादा निभाया। सीएम के वादा निभाने पर संतों और गंगा सभा ने आर्शीवाद दिया।
हरिद्वार में गंगा के एस्केप चैनल को लेकर उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। रविवार को अखाड़ा परिषद के संतों और गंगा सभा के पदाधिकारियों की मौजूदगी में हुई बैठक के बाद सरकार ने एस्केप चैनल के अध्यादेश को निरस्त करने के निर्देश दिए। गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि सोमवार को विधिवत आदेश भी जारी हो जाएगा।
यह अध्यादेश उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत की सरकार में हुआ था। हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित पिछले लंबे समय से अध्यादेश को निरस्त करने की मांग कर रहे थे। तीर्थ पुरोहित गंगा के सम्मान के लिए पिछले 61 दिन से आंदोलन कर हरकी पैड़ी पर धरना दे रहे थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एस्केप चैनल अध्यादेश रद्द करने की घोषणा का धर्मनगरी के संतों और तीर्थ पुरोहितों ने स्वागत किया है। संतों और तीर्थ पुरोहितों ने कहा भाजपा सरकार ने तत्कालीन सरकार की गलती को सुधार कर गंगा को सम्मान वापस देने का काम किया है। वर्ष 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार ने भागीरथी बिंदु, सर्वानंद घाट भूपतवाला से हरकी पैड़ी, मायापुर और दक्ष मंदिर कनखल तक बहने वाली गंगा को एस्केप चैनल घोषित कर दिया था। इसका मतलब था कि यह धारा एक नहर है जो गंगा में अतिरिक्त पानी की निकासी के काम आती है।
एनजीटी ने गंगा के किनारे के 200 मीटर के दायरे में निर्माण को हटाने के आदेश दिए थे। हर की पैड़ी से होकर बह रही गंगा के किनारे होटल, आश्रम आदि के निर्माण का भी है। जिनका हटना तय था। हरीश रावत की सरकार ने इस निर्माण को बचाने के लिए ही गंगा की धारा को एस्केप चैनल घोषित किया था। जबकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और श्री गंगा सभा ने अध्यादेश को लेकर विरोध जताया था।
श्री गंगा सभा ने तो 2017 में अध्यादेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। वर्ष 2019 में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने श्री गंगा सभा को अध्यादेश रद्द करने को लेकर कार्यवाही का आश्वासन दिया था। इसी साल जुलाई में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरकी पैड़ी पहुंचकर अध्यादेश को लेकर श्री गंगा सभा और संत समाज से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी। हरीश रावत ने तत्कालीन परिस्थितियों का हवाला देते हुए अध्यादेश जारी करने की बात ही की थी।
वहीं प्रदेश सरकार से अध्यादेश अब गैरजरूरी बताते हुए अविलंब रद्द करने की मांग भी की थी। हरीश रावत ने संतों और तीर्थ पुरोहितों को आश्वासन दिया था कि यदि मौजूदा सरकार निर्णय नहीं लेती 2022 में यदि उनकी सरकार आती है तो अध्यादेश को रद्द किया जाएगा। तब हरीश रावत के इस मास्टर स्ट्रोक से प्रदेश की राजनीति गरमा गई थी। बकौल श्री गंगा सभा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो माह पूर्व अध्यादेश का रद्द करने का ठोस आश्वासन दिया। वहीं इस दौरान तीर्थ पुरोहित सौरभ सिखौला के नेतृत्व में कई तीर्थ पुरोहित अध्यादेश रद्द करने की मांग को लेकर हरकी पैड़ी पर धरने पर बैठ गए। धरने और क्रमिक अनशन के 63वें दिन सरकार ने अध्यादेश रद्द करने की घोषणा कर दी।

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