मंत्री के भांजे को बेड न मिलने पर कांग्रेस प्रभारी ने कसा तंज, कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने बढ़ती कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या और संक्रमण से हो रही मौतों पर जताई चिंता, कहा, स्टाफ की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में भारी अव्यवस्थाएं अपने चरम पर पहुंच गई हैं
देहरादून।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठाए। कैबिनेट मंत्री के भांजे को बेड न मिल पाने की घटना को लचर सिस्टम का एक उदाहरण बताया। कहा कि स्टाफ की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में भारी अव्यवस्थाएं अपने चरम पर पहुंच गई हैं।
प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि उत्तराखंड सरकार बेड बढ़ाने की बात कर रही है, ये एक स्वागत योग्य कदम है। हालांकि मैन पॉवर की अस्पतालों में भारी किल्लत है। स्टाफ की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में भारी अव्यवस्थाएं अपने चरम पर हैं। ऐसे में बैड बढ़ाने के साथ साथ अस्पतालों में मैन पॉवर बढ़ाने की भी बहुत जरूरत है।
कहा कि आज उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में एएनएम की भी बड़ी किल्लत है। लगभग 650 के पद खाली पड़े हैं। जिन्हें भरकर राज्य सरकार वैक्सीनशन और कोरोना टेस्ट करने में उपयोग कर सकती है। एक तरफ राज्य में बेरोजगारों की लंबी कतार है, वहीं स्वास्थ विभाग में पद रिक्त पड़े हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि राज्य सरकार अपने डिप्लोमा धारक युवाओं को सेवा का मौका दे।
यादव ने कहा कि अफसरों को ग्राउंड जीरो पर जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लेने की ज़रूरत है, क्योंकि हालात जैसे दिखाई दे रहे हैं, उससे कहीं अधिक भयावह हैं। सरकार के दावों और हकीकत में अंतर खुद उसके एक कैबिनेट मंत्री के बयान से सामने आ गया है। जिन्होंने स्वयं सिस्टम के लचर होने की बात स्वीकार की। मंत्री ने स्वीकारा कि अपने भांजे को बैड दिलाने में पसीने छूट गए। ऐसे में सरकार को चाहिए कि हर अधिकारी को अस्पतालों की ज़िम्मेदारी देते हुए उनकी जवाबदेही भी तय की जाए