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कोश्यार ताल योजना के नाम पर करोड़ों का घालमेल, सवालों के घेरे में कोश्यार ताल पेयजल योजना पर खर्च हुआ बजट, 4500 परिवारों के लिए 48 करोड़ का बजट किया जा रहा खर्च, प्रति परिवार एक लाख से अधिक का पड़ रहा है खर्चा

कोश्यार ताल योजना के नाम पर करोड़ों का घालमेल, सवालों के घेरे में कोश्यार ताल पेयजल योजना पर खर्च हुआ बजट, 4500 परिवारों के लिए 48 करोड़ का बजट किया जा रहा खर्च, प्रति परिवार एक लाख से अधिक का पड़ रहा है खर्चा

टिहरी की जाखणीधार क्षेत्र की कोश्यार ताल पेयजल योजना पर खर्च हुए करोड़ों के बजट पर विवाद खड़ा हो गया है। 4500 परिवारों तक पानी पहुंचाने वाली इस योजना पर 48 करोड़ से अधिक का बजट खर्च हो रहा है। प्रति परिवार एक लाख से अधिक का बजट खर्च हो रहा है। 17 साल से चली आ रही इस योजना से आज तक पानी न मिलने पर भी सवाल उठ रहे हैं।
कोश्यार ताल पम्पिंग पेयजल योजना का काम 2005 से शुरू हुआ। 70 गांवों तक पानी पहुंचाया जाना है। 53 पर जल निगम और 17 पर जल संस्थान काम कर रहा है। इस योजना का लगातार बढ़ता जा रहा बजट सवालों के घेरे में है। योजना का काम भी तीन चरण में कराया गया। इसे लेकर भी इंजीनियरों पर सवाल उठ रहे हैं। 21.90 करोड़ पम्पिंग योजना पर खर्च किए, लेकिन विभाग को टैंक और लाइन बिछाने की सुध नहीं आई। दूसरे चरण में 15.70 करोड़ से ये काम शुरू कराया गया, तो गांवों तक सप्लाई बिछाने की प्लानिंग नहीं की गई।
इसमें ही 17 साल का समय निकल गया। अब जल जीवन मिशन में 11 करोड़ का बजट हर घर नल लगाने को मंजूर किया गया। साढ़े सात करोड़ खर्च भी कर दिया गया। सवाल उठ रहा है कि दूसरे फेस में लाइनों का काम हुआ था, तो तीसरे फेस में लाइनों के लिए 11 करोड़ का बजट क्यों स्वीकृत किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में इंजीनियर बजट पर बजट खर्च करते रहे। योजना की लागत को 48 करोड़ तक पहुंचा दिया गया। इसमें भी जल संस्थान की ओर से 17 गांवों में किए जा रहे काम पर हो रहा खर्च अलग है। ये योजना निगम के लिए गले की फांस बन गई है।

जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट के मानकों की भी अनदेखी
मिशन में हर घर तक कनेक्शन, लाइन पहुंचाने को 7500 हजार रुपये प्रति हजार का बजट स्वीकृत किया गया है। इस योजना में ये लागत 24444 रुपये पहुंच गई है। इसमें भी यदि दूसरे फेस में खर्च हुए करोड़ों रुपये को जोड़ लें, तो ये लागत 30 हजार से ऊपर पहुंच गई है। इसे एक बड़ा घालमेल बताया जा रहा है।

जल निगम के इंजीनियरों की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल
2005 से चल रही ये योजना क्यों अभी तक पूरी नहीं हुई, इसका जवाब किसी भी अफसर के पास नहीं है। आखिरी बार इस योजना को देखने एमडी, मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता कब पहुंचे थे, ये भी जानकारी देने की स्थिति में निगम नहीं है।

एसई से पूरा ब्यौरा मांग लिया गया है। पूरी पड़ताल कराई जा रही है। बरसात के बाद जल्द मौके पर जाकर धरातल की स्थिति भी जांची जाएगी।
सीएस रजवार, मुख्य अभियंता गढ़वाल

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