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निजी सचिव संवर्ग की जल्द कराई जाए डीपीसी, सचिवालय में खाली पदों पर डीपीसी को भी बनाया दबाव, सचिवालय संघ ने एसीएस के साथ वार्ता में रखा अपना पक्ष 

निजी सचिव संवर्ग की जल्द कराई जाए डीपीसी, सचिवालय में खाली पदों पर डीपीसी को भी बनाया दबाव, सचिवालय संघ ने एसीएस के साथ वार्ता में रखा अपना पक्ष

देहरादून।

सचिवालय में निजी सचिव सवंर्ग की डीपीसी कराये जाने को लेकर आज सचिवालय संघ ने अपर मुख्य सचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग राधा रतूडी के समक्ष अपना पक्ष रखा। कहा कि निजी सचिव संवर्ग में दो वर्ष से अधिक का समय गुजरने के बाद भी प्रमोशन नहीं हुए हैं। जबकि अधिकारी, कर्मचारियों के पदों की उपलब्धता, पात्रता होने के बाद भी पदोन्नति नहीं की जा रही है।
अध्यक्ष दीपक जोशी ने अपर मुख्य सचिव के समक्ष कुछ विधिक बिन्दुओं को भी स्पष्ट किया। बताया कि पदोन्नति के प्रकरण में लोक सेवा अधिकरण के आदेश को सरकार ने उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी। बल्कि न्यायालय में प्रभावितों ने चुनौती दी। जिसमें उच्च न्यायालय ने कोई स्टे न देते हुये यह अन्तरिम आदेश पारित किया कि लोक सेवा अधिकरण के आदेश का अनुपालन करते हुये सरकार द्वारा वर्ष 2009 की वरिष्ठता को पुनर्निधारित करने की कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं है। हालांकि लम्बित प्रकरण में अग्रिम आदेशों तक प्रतिवादियों को रिवर्ट न किया जाय।
कहा कि सचिवालय प्रशासन विभाग के स्तर से लोक सेवा अधिकरण व हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में ही सचिवालय प्रशासन विभाग ने संवर्ग की पूर्व ज्येष्ठता सूची वर्ष 2009 एवं 2014 को निरस्त करते हुये 20 जून 2019 को आपत्तियां मांगते हुये 15 दिन का समय सभी संवर्गीय कार्मिकों को दिया गया था। इस सम्बन्ध में प्राप्त सभी आपत्तियों का निस्तारण करते हुये 18 जुलाई 2019 को अन्तिम ज्येष्ठता सूची जारी की गयी। जो वर्तमान में लागू व प्रभावी है। इसके आधार पर ही संवर्ग के कनिष्ठ कार्मिकों को वर्ष 2020 में पदोन्नति का लाभ भी दिया जा चुका है। जिसमें वर्तमान ज्येष्ठता सूची के आधार पर सशर्त पदोन्नति में कोई विधिक अड़चन न होने का परामर्श भी न्याय विभाग से प्राप्त है।
संघ के उपाध्यक्ष सुनील लखेड़ा ने कहा कि प्रमुख निजी सचिव के रिक्त पदों पर पात्र अधिकारियों को पदोन्नति की बात संघ द्वारा बार-बार की जा रही है। इससे किसी भी पदासीन अधिकारी को रिवर्ट करने से कभी भी कोई सरोकार नहीं रहा है। न ही वर्तमान समय में ऐसी कोई स्थिति है। सचिवालय प्रशासन विभाग में कार्यरत जिन अधिकारियों ने पूर्व में वर्ष 2019 में अन्तिम ज्येष्ठता सूची जारी की गई, उन्हीं के द्वारा अब मामले में अनावश्यक विलम्ब किया जा रहा है। इनका उत्तरदायित्व भी निर्धारित होना चाहिये। एसीएस ने जल्द ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया।

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