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बिजली दरें बढ़ाने का ऊर्जा निगम तैयार कर रहा है प्रस्ताव, नवंबर आखिरी सप्ताह में आयोग को भेजा जाएगा प्रस्ताव, एक अप्रैल से लागू होंगी नई दरें

बिजली दरें बढ़ाने का ऊर्जा निगम तैयार कर रहा है प्रस्ताव, नवंबर आखिरी सप्ताह में आयोग को भेजा जाएगा प्रस्ताव, एक अप्रैल से लागू होंगी नई दरें

देहरादून।

राज्य में बिजली की नई दरें तय करने की तैयारी शुरू हो गई है। नवंबर आखिरी सप्ताह तक नई दरों का ड्राफ्ट तैयार कर उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेज दिया जाएगा। यूपीसीएल के इस प्रस्ताव पर आयोग की ओर से जनसुनवाई की जाएगी। इसके बाद मार्च अंतिम सप्ताह में नई दरों का ऐलान होगा। जो एक अप्रैल 2021 से लागू होंगी।
राज्य में हर साल बिजली की दरें आयोग की ओर से तय होती हैं। सालाना टैरिफ तय किए जाने को यूपीसीएल की ओर से अपने सभी खर्चों का ब्यौरा आयोग को उपलब्ध कराया जाता है। इस खर्चे के अनुसार यूपीसीएल बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव देता है। पिछले साल यूपीसीएल की ओर से दरों में 7.70 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव दिया था। इसे आयोग ने पूरी तरह खारिज करते हुए जनता को बड़ी राहत दी थी। दरों को न बढ़ाने का फैसला लिया गया और कई मदों में दरों को कम तक कर दिया गया। आयोग के इस फैसले पर पुनर्विचार को भी अपील की गई, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला।
ऐसे में यूपीसीएल इस बार पिछले साल की भरपाई करते हुए नये सिरे से दस प्रतिशत से अधिक का प्रस्ताव तैयार करने की तैयारी में है। हालांकि प्रस्ताव तैयार करने के बाद उसे आयोग को भेजने से पहले यूपीसीएल की बोर्ड बैठक से भी पास कराया जाएगा। ऐसे में इस बार प्रस्ताव भेजने में कुछ अतिरिक्त समय भी लगने की संभावना है।
विद्युत नियामक आयोग का बिजली की दरों को तय करने के मामले में सख्त रुख रहा है। 2018-19 में आयोग ने घरेलू बिजली दरों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया था। 2019-20 में मौजूदा दरों में ही और अधिक कटौती कर दी गई थी। घरेलू, औद्योगिक श्रेणी की दरों में कटौती की गई थी। ऊर्जा निगम की लापरवाही बंद हो, तो राज्य में बिजली की दरों में और भी अधिक कटौती हो सकती है। राज्य में अभी भी लाइन लॉस साढ़े 13 प्रतिशत है। यदि ये लाइन लॉस, बिजली चोरी बंद हो, तो राज्य को 900 करोड़ का लाभ हो। इसी के साथ शत प्रतिशत राजस्व वसूली होने पर भी बिजली की दरें न्यूनतम स्तर पर आ सकती है। बावजूद इसके न तो लाइन लॉस कम हो रहा है। बिजली चोरी पर भी लगाम नहीं कसी जा रही है। राजस्व वसूली भी अधूरी है।

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