जल निगम में गलत आरक्षण से भर्ती हुए इंजीनियर होंगे बाहर, शासन ने दिए जांच के आदेश, शासन ने कार्मिक और न्याय की रिपोर्ट के बाद एमडी निगम को दिए निर्देश, जल निगम में 2005 में बड़ी संख्या में गलत तरीके से भर्ती हुए हैं एई और जेई
देहरादून।
पेयजल निगम में आरक्षण का गलत लाभ लेकर 2005 में असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर बने लोगों की जांच होगी। शासन ने न्याय और कार्मिक की राय के आधार पर एमडी जल निगम को जांच पड़ताल के निर्देश दिए हैं।
जल निगम में उत्तराखंड से बाहर के अनुसूचित जाति और महिला कोटे के अभ्यर्थी भर्ती हो गए थे। 2005 में जल निगम ने पंजाब यूनिवर्सिटी को भर्ती का जिम्मा दिया। पंजाब विवि ने भर्ती कर चयन सूचि जल निगम को भेजी। इसके बाद प्रमाण पत्रों की जांच पड़ताल और नियुक्ति देने का काम जल निगम प्रबंधन ने किया। इस बीच बड़ी संख्या में जेई और एई के पदों पर आरक्षण कोटे में राज्य से बाहर के लोगों को नियुक्ति दे दी गई। इसका खुलासा कुछ वर्ष बाद सूचना के अधिकार में हुआ।
कार्मिक, विधि, न्याय, वित्त सभी की राय लेने के बाद तय हुआ कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाए। जिन लोगों पर गलत आरक्षण का लाभ लेने के आरोप हैं, उनके दस्तावेजों की जांच कर ली जाए। इसके लिए मुख्यालय सभी का रिकॉर्ड खंगालेगा। शासन के इस फैसले के बाद एमडी जल निगम स्तर से इस प्रकरण की पड़ताल शुरू कराई जा रही है।
फर्जी विकल्पों की भी हो जांच
जल निगम में कर्मचारी संगठनों ने राज्य गठन के दौरान के फर्जी विकल्पों की भी जांच की मांग तेज हो गई है। कर्मचारी संगठनों ने गलत तथ्य के आधार पर फर्जी विकल्पों की जांच को दबाव तेज कर दिया है।
जो भी नियम विरुद्ध कार्रवाई हुई है। उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। हमेशा के लिए असमंजस की स्थिति दूर हो जाए।
रामकुमार, अध्यक्ष डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ
शासन की ओर से जांच के आदेश प्राप्त हो गए हैं। जांच पड़ताल शुरू कराई जा रही है। इसके लिए सभी पक्षों को उनकी बात रखने का मौका दिया जा रहा है।
एसके पंत, एमडी जल निगमss