पौने सात लाख श्रमिक, 30 लाख परिजनों का कोरोना का निशुल्क इलाज, ईएसआई श्रमिकों का होगा कोरोना का निशुल्क इलाज, श्रम मंत्री की बैठक में लिया गया निर्णय, पौने सात लाख श्रमिकों समेत कुल 30 लाख लोगों को मिलेगा लाभ, निजी अस्पतालों में होगा कोरोना का निशुल्क इलाज, 21 हजार से कम वेतन वाले श्रमिक आएंगे दायरे में
देहरादून।
राज्य में ईएसआई से जुड़े श्रमिकों का भी कोरोना का निशुल्क इलाज होगा। न सिर्फ पौने सात लाख श्रमिक, बल्कि श्रमिकों समेत कुल 30 लाख परिजनों को भी लाभ मिलेगा।
विधानसभा में मंगलवार को हुई बैठक में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने इसके निर्देश दिए। कहा कि श्रमिक जो ईएसआई में पंजीकृत हैं, वो इसके दायरे में आएंगे। अभी तक उन्हें कोरोना की बीमारी में निजी अस्पतालों में निशुल्क इलाज नहीं मिल रहा था। सरकारी अस्पतालों में पहले से ही बेड फुल की स्थिति रही। ऐसे में अब ईएसआई के सूचीबद्ध निजी अस्पतालों समेत प्राइवेट अस्पतालों में भी निशुल्क इलाज हो सकेगा। इसके लिए सीजीएचएस की तय दरों पर इलाज की सुविधा मिलेगी। इस योजना का लाभ पौने सात लाख श्रमिकों समेत कुल 30 लाख परिजनों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार की इस योजना को राज्य में भी लागू किए जाने से श्रमिकों को कोरोना महामारी के बीच बड़ी राहत मिलने जा रही है। बैठक में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत, श्रम सचिव हरबंस सिंह चुघ, निदेशक ईएसआई प्रशांत आर्य मौजूद रहे।
लंबे समय से किया जा रहा था योजना का इंतजार
देहरादून। राज्य में श्रमिकों को ईएसआईसी की योजनाओं का लाभ श्रमिकों को नहीं मिल रहा था। केंद्र ने कोरोना से इलाज समेत तमाम लाभ दिए जाने को योजना शुरू की हैं, लेकिन राज्य की ओर से केंद्र सरकार को नोटिफिकेशन को लागू ही नहीं किया गया। इसके कारण राज्य के श्रमिकों को केंद्र की इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा था। जबकि इस योजना में केंद्र सरकार के स्तर से सहायता दी जानी है। 21 हजार से कम वेतन पाने वालों को कोरोना का प्राइवेट अस्पताल में निशुल्क इलाज मिलना है। न सिर्फ श्रमिक, बल्कि परिवार के सदस्य का भी इलाज होना है। बीमित व्यक्ति ईएसआईसी के अस्पतालों, संबंधित इम्पेनेलमेंट वाले अस्पतालों समेत प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज मिलना है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के बाद अपने बिल भुगतान को लगाने होंगे।
ये भी मिलने हैं लाभ
इलाज के दौरान 91 दिनों तक गैर हाजिर रहने पर भी कर्मचारी अपने वेतन का दावा पेश कर सकता है। इस दौरान कर्मचारी को एक दिन के 70 फीसदी वेतन के हिसाब से भुगतान होगा। यदि कोई व्यक्ति कारखाने, संस्थान बंद होने या छंटनी के कारण बेरोजगार होता है, तो उसे दो वर्षों के लिए राजीव गांधी श्रमिक कल्याण योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता मिलेगा। किसी अन्य कारण से बेरोजगार होने पर उसे अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के तहत 90 दिनों तक आर्थिक मदद दी जाएगी। 50 प्रतिशत की दर से मदद सरकार की ओर से मिलेगी।
मृत्यु होने पर दाह संस्कार के लिए 15 हजार
कोरोना के दौरान यदि किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है, उसके परिजनों को दाह संस्कार के लिए 15 हजार रुपये की सहायता सरकार की ओर से दी जाएगी।
उद्योग जगत में थी भारी नाराजगी
राज्य की ओर से अभी केंद्र सरकार की इस योजना को लागू न करने से उद्योग जगत में भारी नाराजगी थी। इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा कि कोरोना के समय ये योजना बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसके बाद भी क्यों इसे लागू नहीं किया ज रहा है। क्यों केंद्र के नोटिफिकेशन हो जाने के बावजूद इसे राज्य में लागू नहीं किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों में बेड मिल नहीं रहे हैं। इसके कारण श्रमिक प्राइवेट अस्पतालों में उपचार करा रहे हैं, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों के उनके मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं हो रहा है। जबकि इस योजना में केंद्र से ही भुगतान होना है।