पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने राज्यपाल को पत्र लिख कर राज्य को संवैधानिक संकट से उबारने की मांग की, राज्य में संशय और ऊहापोह की स्थिति: किशोर उपाध्याय
देहरादून।
उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और वनाधिकार आन्दोलन के संस्थापक किशोर उपाध्याय ने राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य को अभूतपूर्व संवैधानिक संकट, संशय और ऊहापोह की स्थिति से उबारने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के समय भी तत्कालीन राज सत्ता ने उत्तराखंडियों को अनेक गहरे घाव दिए। लुंज-पुंज राज्य दिया। हमारी सबसे महत्वपूर्ण सम्पदा, “जल सम्पदा” हमसे छीन ली। पहले अंतरिम सरकार के मुख्यमंत्री को विवादास्पद बना दिया और बाद में मुख्यमंत्री को बदलना पड़ा। दो साल में “दो” मुख्यमंत्री नव-सृजित राज्य को मिले। आज स्थिति और अधिक हास्यास्पद बना दी गयी है। भारत के राज्यों की सरकारों के इतिहास में यह पहला वाकया होगा, जब विधान सभा के महत्वपूर्ण बजट सत्र के बीच में विधायकों को हेलिकॉप्टर से ढोकर अस्थायी राजधानी से स्थायी राजधानी लाया गया हो और प्रचंड बहुमत की सरकार के मुख्यमंत्री को अपमानपूर्ण ढंग से चलता कर दिया गया हो।
नये मुख्यमंत्री को शपथ लेने के दिन से छह माह के भीतर सदन की सदस्यता की शपथ लेनी है, लेकिन उसकी संभावनायें तो दिन प्रतिदिन क्षीण होती जा रही हैं। ऐसे में क्या राज्य एक संवैधानिक संकट की ओर अग्रसर हो रहा है। सरकार की सोचनीय दिशाहीनता नौकरशाही का मनोबल तोड़ चुकी है। कहा कि राज्यपाल के कन्धों पर राज्य में संविधान की रक्षा का भार है। उन्हें विश्वास है आप संविधान की आत्मा और भावना की रक्षा करेंगी। राज्य को इस संशय और ऊहापोह की स्थिति से निकाले का कष्ट करेंगी।
इस अभूतपूर्व संकट के समय में राज्य एक ओर कोविड -19 की विभीषिका से राज्य जूझ रहा है, महँगाई, भ्रष्टाचार और बेरोज़गारी में राज्य देश में अव्वल नम्बर पर है। बेरोजगार और कर्ज से लदे लोग अपनी जान दे रहे हैं। मानसून राज्य में दस्तक दे चुका है। अभी रैणी की विभीषिका को राज्य ने झेला है। आशा है कि इस बरसात में राज्य को इस तरह के और दंश न झेलने पड़ें। बावजूद इसके सरकार इस समय खुद संकट में है। राज्य में संशय और ऊहापोह की स्थिति है।