पेयजल के राजकीयकरण का फैसला ले सरकार, उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संगठन संयुक्त मोर्चा ने बनाया दबाव, सीजीएम जल संस्थान को पत्र लिख कर दी आंदोलन की चेतावनी
उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संगठन संयुक्त मोर्चा ने पेयजल के राजकीयकरण की मांग तेज कर दी है। मोर्चा ने मुख्यालय में मिनिस्टीरियल संवर्ग के पदों को आउटसोर्सिंग पर भरे जाने का भी विरोध किया। तत्काल ऐसे पदों पर की गई नियुक्ति को रद्द करने की मांग की।
मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रमेश बिंजौला ने कहा कि जल संस्थान और जल निगम का एकीकरण करते हुए पेयजल विभाग का राजकीयकरण किया जाए। राज्य कर्मचारियों की तरह जल संस्थान कर्मचारियों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाए। समूह घ से समूह ग में जल्द पदोन्नति की जाए। आईटीआई धारकों के प्रमोशन ऊर्जा और सिंचाई विभाग की तरह जूनियर इंजीनियर के पदों पर किया जाए।
एक सितंबर 2003 को विनियमित हुए कर्मचारी, जो एक सितंबर 1996 से संहत वेतन प्राप्त कर रहे थे, उनकी सेवा की गणना एक नवंबर 1996 से की जाए। एक नवंबर 2013 से उसी अनुसार वेतन निर्धारण किया जाए। हाईकोर्ट के आदेश अनुसार जल्द लाभ प्रदान किया जाए। पूर्व में दी जा रही राशिकरण की सुविधा को बहाल किया जाए। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की तरह स्टाफिंग पैटर्न लागू करते हुए 4200 ग्रेड वेतन का लाभ दिया जाए। राज्य कर्मचारियों की तरह समान रूप से वाहन भत्ते की सुविधा मंजूर की जाए। मांगों के निस्तारण को लेकर 12 सितंबर को मुख्यालय में आम सभा का आयोजन किया जाएगा।