कांग्रेस के 2017 के हार के कारणों को तलाशने निकले हरीश रावत, बोले, 2012 के बराबर कांग्रेस वोट लाई, मोदी लहर में भी आधार वोट बचाया, हरीश रावत का संकेत, 2022 उनका आखिरी चुनाव
देहरादून।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने संकेत दिया कि 2022 का विधानसभा चुनाव उनके लिए कांग्रेस की आखिरी सेवा हो सकती है। ऐसे में वो 2017 में चुनाव की हार के कारणों का पता लगाने और हार जीत के गैप को जानने राज्य भ्रमण पर निकल रहे हैं। इसका उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐलान किया। कहा कि 2012 में जितने वोट कांग्रेस को मिले, उतने वोट 2017 में भी कांग्रेस प्रचंड मोदी लहर के बावजूद बचाने में सफल रही।
सोशल मीडिया पर अपने संदेश में पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि मैंने तय किया है कि मैं फरवरी के आखिर तक जो हमारा चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी का सीमांत क्षेत्र है, वहां भी भ्रमण करुंगा। मैं इन क्षेत्रों में 2017 में कांग्रेस प्रत्याशियों को मिले मतों का जब संख्यावार आकंलन कर रहा हूं, तो एक-दो स्थानों को छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार 2012 में जितने मत उनको प्राप्त हुये थे, उन मतों को बचाए रखने में सफल हुये हैं। चंपावत में जितने मत पाकर 2012 में हमारे उम्मीदवार 7000 वोटों से जीते थे, उतने ही मत पाकर हमारे उम्मीदवार बड़े अंतर से हार गये। विपक्ष को जो मत जाते थे उन मतों का एकमुश्त ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में होने से हम इन सीमांत क्षेत्रों में चुनाव हार गए।
मेरे इस भ्रमण का उद्देश्य इसी गैप, जिसने भाजपा को विजयी बनाया है, उसका तोड़ तलाशना है। कुछ तोड़ ढूंढ पाया तो इन क्षेत्रों व कांग्रेस के लिये हो सकता है शायद यह मेरी आखिरी सेवा हो। कहा कि मेरे इन क्षेत्रों के विशेष उल्लेख करने से यह आश्रय न लगाया जाय कि हमारी सरकार ने मध्य उत्तराखंड के जिलों भाभर, तराई, देहरादून व हरिद्वार के लिये अलग अलग व समन्वित योजना बनाई। इन क्षेत्रों के लिये बनाई गई योजनाओं का मैं अलग से उल्लेख करुंगा।