जल निगम में सिर्फ काम ही काम, वेतन भुगतान का नहीं लिया जा रहा नाम
देहरादून।
पेयजल निगम में एक ओर कर्मचारी इंजीनियरों पर योजनाओं को समय पर पूरा करने का दबाव बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर तीन महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है। कर्मचारी, पेंशनर्स की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है। इसके बाद भी वेतन का नियमित भुगतान नहीं हो पा रहा है।
चुनावी वर्ष होने के कारण जल निगम पर अतिरिक्त दबाव है। ये दबाव न सिर्फ योजनाओं को पूरा करने का है, बल्कि नई योजनाएं मंजूर कराने का भी है। योजनाओं की डीपीआर तैयार करने, उन्हें मंजूर कराने को लेकर कर्मचारियों को रात दिन काम करना पड़ रहा है। इसके बाद भी तीन महीने से वेतन न मिलने से कर्मचारी परेशान और आक्रोश में हैं।
डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के अध्यक्ष रामकुमार ने कहा कि पहले से लेकर अभी तक जल जीवन मिशन का दबाव रहा। कहीं राज्य सेक्टर की योजनाओं का दबाव, तो कहीं नई योजनाओं को मंजूर कराने को लेकर कर्मचारी बिना वेतन के काम कर रहे हैं। कैसे इन कर्मचारियों के घरों का चूल्हा जल रहा है, ये पूछने वाला कोई नहीं है। शासन, सरकार सिर्फ काम की समीक्षा करती है, कभी कर्मचारियों की परेशानियों की सुध नहीं ली जाती है।
पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पीएस रावत और महामंत्री प्रवीन रावत ने कहा कि कोरोना काल में तीन महीने से वेतन, पेंशन न मिलने से स्थिति समझी जा सकती है। बावजूद इसके शासन में बैठे अफसरों को ये सब समझ नहीं आ रहा। परिवारों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो रखा है। लेकिन सुध लेने वाला नहीं है। सिर्फ काम की बात की जाती है, वेतन भुगतान पर सब चुप्पी साध लेते हैं।
पूरा प्रयास किया जा रहा है कि वेतन, पेंशन का भुगतान हो जाए। इसके लिए सेंटज से मिलने वाले पैसे से भुगतान होगा। कुछ पैसा शासन से मिला है, उससे भुगतान होगा। जल्द स्थिति सामान्य कर दी जाएगी।
केके रस्तोगी, मुख्य अभियंता मुख्यालय