विभागों में दम तोड़ती घपलों, घोटालों की जांच, पेयजल में नानघाट, भरसार, बीरोंखाल प्रकरण में नहीं हुई कोई कार्रवाई, यूपीसीएल में 68 करोड़ के लंबित भुगतान के आरोपी अफसरों पर भी कोई एक्शन नहीं
देहरादून।
भ्रष्टाचार से जुड़े अधिकतर मसलों की जांच रिपोर्ट विभागों में डंप हैं। घपले, घोटाले उजागर होते हैं। किसी में जांच शुरू होती है, तो किसी में जांच तक शुरू नहीं होती। आरोपी अफसर बिना किसी कार्रवाई के ही रिटायर हो जाते हैं। पेयजल और ऊर्जा निगम में ऐसे प्रकरणों की खासी संख्या है। जहां आरोपी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुछ से वसूली होनी है, लेकिन वसूली की कार्रवाई भी लंबित चल रही है।
नानघाट पेयजल योजना
पौड़ी में नयार नदी से पानी लाने की इस योजना में कई इंजीनियरों पर कार्रवाई होनी थी। जितना पानी योजना में दिखाया गया था, उतना पानी पहुंचा ही नहीं। दूसरी ओर योजना की लागत जरूर 23 करोड़ से 90 करोड़ पहुंच गई। इसके बाद भी पर्याप्त पानी नहीं पहुंचा।
बीरोंखाल पेयजल योजना
इस योजना में सिविल के इंजीनियरों ने योजना के हेड का गलत आंकलन कर लिया। इसके कारण गलत पम्पिंग प्लांट खरीदे गए। इन प्लांट का कोई इस्तेमाल नहीं हो पाया। इससे लाखों का नुकसान हुआ। इसके लिए दोषी अफसरों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह भरसार पेयजल योजना से जुड़ी गड़बड़ियों के आरोपी इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कुंभ घोटाले के अधिकतर आरोपी रिटायर
कुंभ मेला 2010 में ऊर्जा निगम के कार्यों पर ऑडिट ने सवाल उठाए थे। इसके बाद निदेशक अनिल कुमार की जांच रिपोर्ट में भी गड़बड़ियों की पुष्टि की गई। आरोपियों को चि्ह्तित करते हुए रिपोर्ट शासन को भेजी गई। इस रिपोर्ट के आधार पर आज तक किसी इंजीनियर, अफसर के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। जबकि अब अधिकतर लोग रिटायर हो चुके हैं। चार साल से रिपोर्ट शासन में ही डंप पड़ी है।
पेयजल के सभी प्रकरणों में जांच फाइनल कर कार्रवाई के लिए एमडी को निर्देश दिए हैं। सभी प्रकरणों में जांच फाइनल स्तर पर है। जल्द सभी प्रकरण का निस्तारण करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।
नितेश झा, सचिव पेयजल