दो चार साल नहीं, अब 10 से 15 साल की प्लानिंग में जुटी सरकार, उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने की दिशा में ठोस रोडमैप के साथ मजबूत प्लेटफार्म बनाने की दिशा में तैयारी, पावर, पर्यटन, उद्योग, कृषि उद्यान, कौशल विकास समेत हर क्षेत्र में लंबी प्लानिंग

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देहरादून।

अभी तक सरकारों का फोकस सड़क, नाली, खंडजा, पुश्ता निर्माण, ट्रांसफर पोस्टिंग तक ही सीमित रहता था। बहुत हुआ तो साल दो साल की प्लानिंग करते हुए सरकार आगे बढ़ती थी। इस बार सरकार का मिजाज और फोकस कुछ अलग है। इस बार उत्तराखंड सरकार की तैयारी विकास के पथ पर एक लंबी छलांग लगाने की है। सरकार दो चार साल की बजाय 10 से 15 साल की प्लानिंग के साथ आगे बढ़ रही है। इस बार उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने को ठोस रोडमैप के साथ आगे बढ़ा जा रहा है। मजबूत प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है। पावर, पर्यटन, उद्योग, कृषि उद्यान, कौशल विकास हर क्षेत्र में आगे बढ़ा जा रहा है।
उत्तराखंड आने वाले वर्षों में गुजरात, महाराष्ट्र, कनार्टक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, यूपी जैसे राज्यों के मुकाबले में खड़ा हो सके, इसके लिए इस बार मैकेंजी जैसी अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंट फर्म को साथ जोड़ कर सरकार ने बड़ा विजन दिखाया। विभागवार कैसे कैसे किन किन क्षेत्रों में उत्तराखंड को आगे बढ़ाया जा सकता है। कैसे राज्य की आय, जीडीपी बढ़ाई जा सकती है, कैसे रोजगार, स्वरोजगार के मौके बढ़ाए जा सकते हैं। इस पर काम किया जा रहा है। लखवाड़, किसाऊ जैसे पावर प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ा जा रहा है। टीएचडीसी के लाभ में सीधे 25 प्रतिशत लाभांश लेने को पूरी शिद्दत के साथ कानूनी रूप से आगे बढ़ा जा रहा है। पॉवर सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने, उत्तराखंड को पावर सरप्लस राज्य बनने की दिशा में काम हो रहा है। इसी को ध्यान में रखकर नई सोलर और हाइड्रो पॉलिसी तैयार की गई है।
देश की सबसे आक्रामक पर्यटन पॉलिसी तैयार की गई है। होटल, रिजॉर्ट, होम स्टे समेत अन्य पर्यटन गतिविधियों में निवेश बढ़ाने को 50 से लेकर 100 प्रतिशत तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। काशी विश्वनाथ, महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर हरिद्वार, ऋषिकेश कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। इससे पूरे देश भर में उत्तराखंड की एक इमेज बिल्डिंग होगी। धार्मिक पर्यटन के सेक्टर में ये पहल मील का पत्थर साबित होगी। पहली बार नौकरशाहों की मसूरी मंथन में क्लास लगाई गई। किस तरह उत्तराखंड को आगे बढ़ाया जाए, इस दिशा में जो मंथन हुआ, उससे निकला अमृत आने वाले सालों में उत्तराखंड को एक नई पहचान देगा।
कृषि, उद्यान, सहकारिता, डेयरी, पशुपालन, मत्स्य जैसे लो प्रोफाइल समझे जाने वाले विभागों में आम जनता की आय बढ़ाने वाले सबसे अधिक काम किए जा रहे हैं। इससे आने वाले वर्षों में उत्तराखंड हिमाचल, कश्मीर, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों से आगे निकलेगा। कौशल विकास में राज्य के युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुरूप ही तैयार किया जा रहा है। इसके लिए सरकार सीधे ही बड़े उद्योगों को ही युवाओं के स्किल डेवलपमेंट का जिम्मा सौंपने जा रही है। इस पूरे मामले में सबसे अहम ये है कि सरकार ने ये तमाम काम उस एक वर्ष में किए हैं, जब वो सबसे अधिक विपरीत हालात में फंसी हुई थी। कहीं नकल माफिया के मकड़जाल में उलझी परीक्षाओं के कारण युवाओं का आत्मविश्वास हाशिये पर आ चुका था। तो कहीं खुलेआम सरकारी नौकरियां बेची जा रही थी। सरकार ने नकल माफिया पर तो कड़ा प्रहार करते हुए 60 से अधिक लोगों को जेल में डाला ही, साथ ही एक पारदर्शी भर्ती सिस्टम भी तैयार किया। इस एक साल में हुए इन तमाम कार्यों का पूरा श्रेय सीएम पुष्कर धामी को ही जाता है।

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