मोदी सरकार के इस फैसले से राज्य के बिजली कर्मचारी नाराज, इस फैसले को बताया जनविरोधी, 26 नवंबर को जताएंगे विरोध
देहरादून।
पॉवर सेक्टर के निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार के इलेक्ट्रिसिटी(संशोधित) बिल 2020 का विरोध तेज हो गया है। 26 नवंबर को होने जा रहे राष्ट्रव्यापी आंदोलन में उत्तराखंड के भी पॉवर सेक्टर से जुड़े सभी कर्मचारी संगठन हिस्सा लेंगे। कर्मचारी संगठनों ने बिल के प्रावधानों को जन विरोधी के साथ ही कर्मचारी विरोधी करार दिया।
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ईसी रोड में हुई बैठक में 26 नवंबर के आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। तय हुआ कि ऊर्जा के तीनों निगमों के अधिकारी, कर्मचारी, संविदा कर्मचारी यूपीसीएल मुख्यालय में एकजुट होंगे। केंद्र सरकार की एक्ट को लेकर की जा रही तैयारियों का विरोध किया जाएगा। तय हुआ कि यदि केंद्र और राज्य सरकार जल्द निजीकरण की इस प्रक्रिया को निरस्त नहीं करती है, तो आंदोलन तेज किया जाएगा। पदाधिकारियों ने चेताया कि यदि एक्ट लागू करने को लेकर जोर जबरदस्ती की गई, तो आंदोलन तय है।
संयोजक इंसारुल हक ने साफ किया कि सरकार को हर हाल में इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को वापस लेना होगा। क्योंकि पूर्व में भी पॉवर सेक्टर में निजीकरण के प्रयोग विफल रहे हैं। उड़ीसा, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, आगरा, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया समेत देश के कई शहरों में नतीजे फ्लॉप रहे हैं। बैठक में प्रदीप कुमार कंसल, मुकेश कुमार, डीसी ध्यानी, अनिल मिश्रा, अमित रंजन, विनोद कवि, केहर सिंह, प्रदीप प्रकाश शर्मा, डीके शर्मा मौजूद रहे।