देहरादून।
सहकारी बैंकों के लोन फर्जीवाड़े पर रोक लगाने की तैयारी हो गई है। एक करोड़ से ऊपर के लोन मंजूर करने से पहले शासन से मंजूरी लेनी होगी। अभी जिला और राज्य सहकारी बैंकों के स्तर पर लोन देने में बड़ा खेल हो रहा है। बिना जांच पड़ताल किए करोड़ों के लोन दिए जा रहे हैं। जो बाद में एनपीए हो जा रहे हैं। इससे बैंकों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
राज्य में सहकारी मिनी बैंक, जिला सहकारी बैंक समेत राज्य सहकारी बैंकों की ओर से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। करोड़ों के बड़े लोन कई बैंकों के स्तर से संयुक्त रूप से भी दिए जाते हैं। लगातार शिकायतें आ रही हैं कि ऋण देने में तय मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। जितना लोन लेना होता है, उससे डेढ़ गुना अधिक कीमत की संपत्ति गिरवी रखनी होती है। जो सर्किल रेट का डेढ़ गुना होनी चाहिए। पिछले कुछ सालों में बहुत कम सिक्योरिटी और कई बार तो बिना सिक्योरिटी के फर्जी कागजों के आधार पर ही ऋण दे दिए गए। जिसे बाद में वसूलना मुश्किल हो गया।
ऐसे मामलों में अब सख्ती के साथ रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। गाइड लाइन बनाई जा रही है कि एक करोड़ से ऊपर के लोन मंजूर करने से पहले शासन की मंजूरी लेनी होगी। बाकायदा बैंक रजिस्ट्रार कार्यालय को प्रस्ताव भेजेंगे। रजिस्ट्रार कार्यालय से रिपोर्ट लग कर शासन से मंजूरी ली जाएगी। ताकि बैंकों के लोन फर्जीवाड़े पर रोक लग सके।
बिना पूरी सिक्योरिटी के मंजूर कर दिया 81 करोड़ का लोन
राज्य सहकारी बैंक और पांच जिला सहकारी बैंकों ने मिल कर एक रिजॉर्ट के लिए कुल 81 करोड़ का ऋण मंजूर कर दिया। पहले रिजॉर्ट को 56 करोड़ का लोन मंजूर किया गया। इस लोन की किश्तों का भी समय पर भुगतान नहीं किया। इसके बाद भी दोबारा 25 करोड़ का लोन और मंजूर कर दिया गया। इस मंजूर लोन में से 8.5 करोड़ बिना एमडी की मंजूरी के ही दे दिए गए। राज्य सहकारी बैंक को सिर्फ 22 करोड़ रुपये देने थे, लेकिन उसने भुगतान 33 करोड़ का कर दिया।
निलंबित कर दिए गए थे मैनेजर
बिना एमडी की मंजूरी के 8.5 करोड़ रुपये जारी करने पर बैंक मैनेजर को एमडी नीरज बेलवाल ने निलंबित कर दिया था। हालांकि बाद में कोर्ट ने मैनेजर को राहत देते हुए निलंबन वापस कर दिया। एमडी नीरज बेलवाल ने बताया कि निलंबन पर कोर्ट के आदेश को लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है।
बैंकों से लोन देने की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा रहा है। लोन एनपीए न हों और बैंकों को घाटा न हो, इसके लिए मानकों को और मजबूत बनाया जाएगा। एक करोड़ से ऊपर के लोन की मंजूरी को रजिस्ट्रार और शासन स्तर से मंजूरी लेने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
धन सिंह रावत, सहकारिता मंत्री