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पॉवर सेक्टर के निजीकरण के सामने आएंगे भयावह परिणाम, बिजली कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी

पॉवर सेक्टर के निजीकरण के सामने आएंगे भयावह परिणाम, बिजली कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
जनविरोधी है बिजली का निजीकरण, जबरन एक्ट लागू करने पर मोर्चा ने दी आंदोलन की चेतावनी
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि उत्तराखंड में जबरन इलेक्ट्रिसिटी(संशोधित) बिल 2020 लागू किया गया, तो इसके गंभीर और भयावह परिणाम सामने आएंगे। उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में इलेक्ट्रिसिटी(संशोधित) बिल 2020 पर एतराज जताया गया। निजीकरण को पदाधिकारियों ने जनविरोधी करार दिया। जबरन एक्ट लागू करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
मोर्चा की संगठन भवन में हुई बैठक में एक्ट का एक सुर में विरोध किया गया। संयोजक इंसारुल हक ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) बिल 2020 को वापस ले। पॉवर सेक्टर में निजीकरण जैसे प्रयोग न किए जाएं। इसके भयावह परिणाम सामने आएंगे। क्योंकि पॉवर सेक्टर के निजीकरण का ये प्रयोग उड़ीसा, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, आगरा, उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भागलपुर, गया समेत देश के कई अन्य बड़े शहरों में पूरी तरह फ्लॉप साबित हुआ है।
पदाधिकारियों ने कहा कि कई केंद्र शासित प्रदेशों में निजीकरण शुरू कर दिया गया है। यूपी पूर्वांचल में निजीकरण की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इसी तेजी के साथ निजीकरण जारी रहा, तो आने वाले समय में देश की आम जनता को बिजली उपयोग से पूरी तरह दूर कर दिया जाएगा। यही वजह है, जो 11 राज्य और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने बिल के संशोधन पर आपत्ति भी जताई हैं। राज्यों ने इस संशोधन को राज्य के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण बताया है। बैठक में तय हुआ कि यदि जबरन बिल को लागू कराने का प्रयास किया गया, तो आंदोलन तय है। बैठक में विरेंद्र सिंह नेगी, जयपाल सिंह, केहर सिंह, मुकेश कुमार, मनीष इंगले, जतिन सिंह सैनी, प्रदीप कंसल, भगवती प्रसाद , डीसी ध्यानी, विनोद कवि, अशोक कुमार, पीपी शर्मा आदि मौजूद रहे।

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