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यूपीसीएल में कागजों में हो रहा ठेकेदारों को ठेका कर्मचारियों का भुगतान, ईपीएफ से सामने आई गड़बड़ी, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कसा शिकंजा, ठेका कर्मचारियों की वेतन स्लिप, फॉर्म 16 का मांगा रिकॉर्ड 

यूपीसीएल में कागजों में हो रहा ठेकेदारों को ठेका कर्मचारियों का भुगतान, ईपीएफ से सामने आई गड़बड़ी, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कसा शिकंजा, ठेका कर्मचारियों की वेतन स्लिप, फॉर्म 16 का मांगा रिकॉर्ड

देहरादून।

यूपीसीएल में ठेका कर्मचारियों के वेतन के नाम पर बड़ा गोलमाल चल रहा है। अफसर, ठेकेदारों की मिलीभगत से बड़ा वित्तीय नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ये गड़बड़ी ईपीएफ के जरिए पकड़ में आई है। यूपीसीएल से ठेका कर्मचारियों के नाम पर ठेकेदार पैसा वसूल रहे हैं, लेकिन उसकी एवज में ईपीएफ जमा नहीं करा रहे हैं। जिस अनुपात में ठेकेदारों को श्रमिकों के वेतन का भुगतान हो रहा है, उस लिहाज से ईपीएफ जमा नहीं हो रहा है। गड़बड़ी का अंदेशा होने पर ईपीएफओ ने यूपीसीएल से रिकॉर्ड तलब किया। समय पर रिकॉर्ड न मिलने पर शिकंजा और कस दिया गया है। अब ठेकेदारों के पूरे ब्यौरे के साथ ही कर्मचारियों की वेतन स्लिप के साथ ही फॉर्म 16 का भी रिकॉर्ड तलब किया है। इसे लेकर यूपीसीएल में हड़कंप मचा हुआ है।
ईपीएफ के नाम पर ये गड़बड़ी 2013-14, 2014-15 और 2015-16 से चली आ रही है। यूपीसीएल में स्वयं सहायता समूह संचालित करने वाली फर्म, सब स्टेशनों का संचालन करने वाले ठेकेदार अपने कर्मचारियों के पीएफ के हिस्से का भुगतान नहीं कर रहे हैं। इस गड़बड़ी की भनक लगते ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त मनोज कुमार यादव ने यूपीसीएल प्रबंधन पर दबाव बनाते हुए ठेकेदारों से ईपीएफ भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। साथ ही पूरा ब्यौरा तलब किया। यूपीसीएल मुख्यालय ने भी ठेकेदारों पर दबाव बनाते हुए बिना ईपीएफ जमा कराए, भुगतान न करने की व्यवस्था बनाई।
इसके बाद भी स्थिति अभी भी नहीं सुधर रही है। आलम ये है कि यूपीसीएल प्रबंधन पीएफ ऑफिस तक को पूरा ब्यौरा उपलब्ध नहीं करा पाया है। इस पर यूपीसीएल को दो दिसंबर तक हर हाल में सभी ठेकेदारों, उनके कर्मचारियों का ब्यौरा लेकर आने के निर्देश दिए हैं। इस ब्यौरे की विस्तार से पड़ताल होगी। एक एक कर्मचारी का रिकॉर्ड खंगाला जाएगा।
मुख्यालय स्तर पर अधिक तस्वीर साफ न होने पर पीएफ ऑफिस ने जिलावार पड़ताल का फैसला किया है। एक एक जिले के एक एक डिवीजन में ठेकेदार और कर्मचारियों के ब्यौरे की पड़ताल होगी। यूपीसीएल के साथ करार में ठेकेदार, फर्म, कंपनी ने कितने कर्मचारी दिखाए हैं। कितने मौके पर काम कर रहे हैं और कितनों का ईपीएफ जमा हो रहा है, इसकी पड़ताल होगी।

यहां सबसे अधिक गड़बड़ी
ठेका कर्मचारियों के नाम पर गड़बड़ी को लेकर हरिद्वार, यूएसनगर और नैनीताल जिले के कई डिवीजन निशाने पर हैं। सबसे अधिक गड़बड़ी की शिकायतें रुड़की अरबन, रुड़की रुरल, टेस्ट डिवीजन हैं।

वेतन भुगतान में भी हेरफेर
ठेका कर्मचारियों के वेतन भुगतान के मामले में भी गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। पिछले दिनों ही विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने सचिव ऊर्जा राधिका झा से गड़बड़ी की शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि यूपीसीएल से मिलने वाले 17 हजार रुपये कर्मचारियों तक पहुंचते समय पांच से आठ हजार रुपये हो जाते हैं। इस पर सचिव ऊर्जा ने निदेशक ऑपरेशन को जांच के निर्देश दिए हैं।

सब स्टेशन ठेके पर, फिर क्यों काम कर रहे उपनल वाले
यूपीसीएल में लाइनों और सब स्टेशनों का जिम्मा उपनल, पीआरडी और स्वयं सहायता समूह के कर्मचारी संभालते हैं। इसके बाद भी कई सब स्टेशन कागजों पर पूरी तरह ठेकेदारों के हवाले कर दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार ठेके पर दिए गए सब स्टेशन पर भी उपनल, पीआरडी, एसएचजी कर्मचारियों से काम कराया जा रहा है। ठेकेदारों को भुगतान कर यूपीसीएल पर दोहरा आर्थिक दबाव बनाया जा रहा है।

अफसरों का ये है कहना
मनोज यादव, क्षेत्रीय आयुक्त ईपीएफओ के अनुसार यूपीसीएल समय पर पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा रहा है। इससे जांच में समय लग रहा है। असल तस्वीर सामने लाने को जिलावार पड़ताल कराई जाएगी। ठेकेदारों के नाम, फोन नंबर, कर्मचारियों की पे स्लिप, फॉर्म 16 ए का भी रिकॉर्ड मांगा गया है। इस पूरे प्रकरण की गंभीरता के साथ जांच चल रही है। जल्द इसे पूरा कर लिया जाएगा। दूसरी ओर निदेशक मानव संसाधन एके सिंह का कहना है कि जो भी रिकॉर्ड मांगा गया है, वो उपलब्ध कराया गया है। जो कुछ नई जानकारी मांगी गई हैं, उन्हें भी जल्द उपलब्ध करा दिया जाएगा। सभी डिवीजनों को भी ईपीएफ से जुड़े मामलों में विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। ठेकेदारों को पहले ही साफ कर दिया है कि भुगतान तभी होगा, जब ईपीएफ भुगतान से जुड़े चालान दिखाएंगे।

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