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आईटीआई में शुरू हुआ सचिव हटाओ आंदोलन, कर्मचारी सेवा नियमावली में बदलाव का विरोध, उत्तराखंड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ गुस्से में 

आईटीआई में शुरू हुआ सचिव हटाओ आंदोलन, कर्मचारी सेवा नियमावली में बदलाव का विरोध, उत्तराखंड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ गुस्से में

देहरादून।

उत्तराखंड राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ ने सचिव हटाओ आंदोलन शुरू कर दिया है। संघ की बैठक में नई नियमावली को कर्मचारी विरोधी बताया गया। प्रान्तीय कार्यकारिणीं की आपातकालीन बैठक में नई सेवा नियमावली में कर्मचारी विरोधी प्राविधान शामिल किए जाने के खिलाफ मोर्चा खोला गया।
ऑनलाइन बैठक में प्रान्तीय महामंत्री पंकज सनवाल ने कहा कि शासन का रवैया लंबे समय से अनुदेशक और कार्यदेशक संवर्ग के प्रति नकारात्मक बना हुआ है। इसके कारण कार्मिक पहले से ही परेशान हैं। अब यदि यही नियमावली जारी होती है, तो पूरे संवर्ग का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। कहा कि नई नियमावली को कार्यदेशक प्रशिक्षण अधिकारी सेवा नियमावली नाम दिया गया है। जबकि विभाग में केवल कार्यदेशक का पद स्वीकृत है। इस नियमावली में कार्यदेशक और प्रधानाचार्य के बीच एक अन्य पद प्रशिक्षण अधिकारी स्वीकृत किया जाना प्रस्तावित है।
कहा कि शासन स्तर से आश्वासन दिया गया था कि 12 अक्तूबर 2020 को संघ को लिखित आश्वासन दिया गया था कि विभागीय ढांचे को अन्तिम रुप देने से पहले संघ के सदस्यों को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद भी अभी तक संघ से वार्ता किए बिना ही, उक्त नियमावली में एक नए पद प्रशिक्षण अधिकारी का उल्लेख किया गया है। जो पूरी तरह आपत्तिजनक है। ये पद अभी तक विभागीय ढांचे में कहीं नहीं रहा।
वर्तमान में एक अनुदेशक की पदोन्नति 10 वर्ष बाद कार्यदेशक और पांच वर्ष बाद प्रधानाचार्य श्रेणी 2 के पद पर होती है। नई नियमावली में आठ वर्ष बाद कार्यदेशक, पांच वर्ष बाद प्रशिक्षण अधिकारी, पांच वर्ष बाद प्रधानाचार्य श्रेणी दो पर पदोन्नति होगी। जहां एक अनुदेशक को अभी तक प्रधानाचार्य के पद पर पहुँचने में सामान्य रुप से कुल 15 वर्ष लगते हैं, अब वहीं प्रस्तावित नियमावली के अनुसार कुल 18 वर्ष लगेंगे। पदोन्नति में नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही ग्रेड वेतन कम होने से आर्थिक नुकसान भी होना तय है ।
नई नियमावली में कार्मिकों को ज्येष्ठता के आधार पर पदोन्नति न देते हुए, उनकी श्रेष्ठता के आधार पर पदोन्नति दिया जाना प्रस्तावित किया गया है। जबकि उत्तराखंड के सभी विभागों में पदोन्नति का एक ही मानक ज्येष्ठता निर्धारित है। नियमावली में स्थाईकरण हेतु भी विभागीय परीक्षा का प्रावधान रखा गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
बैठक में तय हुआ कि कार्मिक विरोधी प्रस्तावित नियमावली का पुरजोर विरोध किया जाएगा। 21 जनवरी को हर जिले में नई नियमावली प्रतियां जलाई जाएगी। यदि इस पर तत्काल रोक नहीं लगाई जाती है, तो अनुदेशक, कार्यदेशक, भंडारी संवर्ग अखिल भारतीय परीक्षाओं के बहिष्कार को भी विवश होगा। इसकी समस्त जिम्मेदारी शासन, प्रशासन व सरकार की होगी। प्रान्तीय अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद जोशी ने कहा कि यदि प्रस्तावित नियमावली वापस नहीं ली जाती, तो सभी अनुदेशक, कार्यदेशक, संवर्ग को तुरंत वर्तमान में जारी अखिल भारतीय व्यावसायिक परीक्षाओं का बहिष्कार प्रारम्भ कर देना चाहिए। कर्मचारियों ने मौजूदा सचिव का विभाग बदलने की मांग की। कर्मचारियों ने सचिव हटाओ, अपना अस्तित्व व विभाग बचाओ का नारा दिया।

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