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स्पीकर ऋतु खंडूड़ी 2016 से पहले की अवैध भर्ती पर 17 दिन बाद भी चुप, सीएम पुष्कर धामी ने एक सिरे से भ्रष्ट अफसरों, भर्ती माफिया को को जेल की सलाखों के पीछे भेजा, खिंची एक लंबी लकीर, उत्तराखंड में आसमान सा ऊंचा किया अपना सियासी कद


देहरादून।

स्पीकर ऋतु खंडूड़ी 2016 से पहले की अवैध भर्ती पर 17 दिन बाद भी चुप, सीएम पुष्कर धामी ने एक सिरे से भ्रष्ट अफसरों, भर्ती माफिया को को जेल की सलाखों के पीछे भेजा, खिंची एक लंबी लकीर, उत्तराखंड में आसमान सा ऊंचा किया अपना सियासी कद

विधानसभा में 2016 से पहले के अवैध तरीके से भर्ती हुए, प्रमोशन पाए कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर स्पीकर ऋतु खंडूडी 17 दिन बाद भी चुप्पी साधे हुए हैं। 17 दिन बाद भी अभी तक विधिक राय लेने का फैसला नहीं कर पाई हैं। वहीं दूसरी ओर सीएम पुष्कर धामी ने भर्ती माफिया के खिलाफ प्रचंड, आक्रामक रुख दिखा कहर बरपाते हुए 45 से अधिक लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया है। इस तरह फॉयर पुष्कर ने एक लंबी लकीर खिंचते हुए उत्तराखंड की सियासत में अपना सियासी कद आसमान सा ऊंचा कर दिया है। जिसके आगे अब सभी दूसरे नेता बौने नजर आ रहे हैं।
इस मामले में सीएम पुष्कर ने रिटायर आईएफएस पीसीसीएफ, आयोग अध्यक्ष आरबीएस रावत समेत मनोहर कन्याल, आरएस पोखरिया जैसे बड़े लोगों को जेल भेजा, वहीं हाकम, मूसा जैसों को भी जेल की हवा खिला दी है। संतोष बड़ोनी को निलंबित करने में भी देरी नहीं दिखाई। विधानसभा में 2016, 2020 और 2022 के कर्मचारियों की नौकरी समाप्त कर स्पीकर ऋतु खंडूडी इसका श्रेय लेकर अपना सियासी कद बढ़ाने का प्रयास कर रही थी। उनके इन प्रयासों पर उनकी 17 दिन की चुप्पी भारी पड़ गई है। उन पर खुल कर विपक्ष भेदभाव के आरोप लगा रहा है।
जो तेजी स्पीकर ने कर्मचारियों को बाहर निकालने के मामले में दिखाई, वही सुस्ती वो अब 2016 से पहले के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में दिखा रही हैं। बार बार यही कह रहीं हैं कि वो पुराने कर्मचारियों के मामले में विधिक राय लेंगी, लेकिन ये विधिक राय कब ली जाएगी, उस पर वो कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। इसे लेकर विपक्ष लगातार उनकी घेरेबंदी कर रहा है। उनकी ये चुप्पी अब उनके सियासी कद को लगातार प्रभावित कर रही है। दूसरी ओर सीएम पुष्कर धामी लगातार अपना सियासी कद ऊंचा करते जा रहे हैं।
पुष्कर न सिर्फ भ्रष्टाचार पर गहरी चोट कर रहे हैं, बल्कि वीकेंड अब जनता के बीच पहुंच कर उन्हीं के साथ बिता रहे हैं। इस तरह पुष्कर ने उत्तराखंड की सियासत में एक नई तरीके की राजनीति की शुरुआत कर दी है। जिसके उन्हें दूसरे नेताओं से बहुत अलग और बड़ा बना दिया है। इस तरह उत्तराखंड को पुष्कर के रूप में एक परिपक्व और मजबूत नेतृत्व प्राप्त हो गया है। जो उत्तराखंड को एक ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम हैं।

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