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राज्य सहकारी बैंक ने रिलायंस कैपिटल में 15 करोड़ और टीआईएल में लगाए 21 करोड़, रिलायंस वाला पैसा डूबा, टीआईएल वाला पांच करोड़ रुपया लौटा, 16 करोड़ अभी भी बाजार में है फंसा, अफसरों ने कमीशन को कंपनियों के बांड में फंसाया 36 करोड़, बाजार में लगा है कुल 770 करोड़ रुपये 

राज्य सहकारी बैंक ने रिलायंस कैपिटल में 15 करोड़ और टीआईएल में लगाए 21 करोड़, रिलायंस वाला पैसा डूबा, टीआईएल वाला पांच करोड़ रुपया लौटा, 16 करोड़ अभी भी बाजार में है फंसा, अफसरों ने कमीशन को कंपनियों के बांड में फंसाया 36 करोड़, बाजार में लगा है कुल 770 करोड़ रुपये

देहरादून।

राज्य सहकारी बैंक के अफसरों ने अपने कमीशन के लिए ऐसी कंपनियों के बांड में निवेश किया, जिनकी मार्केट रेपो बहुत बेहतर नहीं थी। नाबार्ड की गाइड लाइन को तार तार करते हुए बैंक ने अकेले वर्ष 2019 में दो कंपनियों में 36 करोड़ रुपये निवेश किया। इसमें 15 करोड़ रुपये तो डूब चुका है। पांच करोड़ वापस आया है। 16 करोड़ रुपये अभी भी बाजार में अटका है।
राज्य सहकारी बैंक ने छह फरवरी 2019 को 15 करोड़ अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल में लगाए। वो भी तब, जबकि बाजार में कंपनी की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसके बाद भी इतना बड़ा निवेश किया गया। सेबी की निगरानी और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस के कारण बैंक का पैसा अटक गया है।
इसके साथ ही 21 करोड़ रुपये ट्रस्ट इंडिया ऑफ लिमिटेड में लगाए। पैसा एक साल के लिए लगाया गया। एक साल 21 करोड़ की स्थिति ये है कि पैसा बढ़ना तो दूर, मूल धन ही बचा रहे, वो ही गनीमत है। इसी खतरे को भांपते हुए बैंक ने पांच करोड़ वापस भी ले लिया है। हालांकि मांग पूरा पैसा वापस किए जाने की रही। अब शेष 16 करोड़ लौटने का इंतजार हो रहा है। बैंक के निवेश की ये स्थिति तब है, जबकि शेयर बाजार हवा में कुलांचे भर रहा है। इसके बाद भी अफसरों ने नाबार्ड के निर्देशों को दरकिनार कर बेहतर कंपनियों में निवेश नहीं किया। नाबार्ड के स्पष्ट निर्देश हैं कि केंद्र सरकार के उपक्रमों और मुनाफा देने वाले नवरत्नों में ही निवेश किया जाए।
राज्य सहकारी बैंक का बाजार में कुल 770 करोड़ रुपये है। हालांकि 650 करोड़ गर्वमेंट सिक्योरिटी और 89 करोड़ सरकारी बांड में निवेश किया गया है। असल गड़बड़ी 36 करोड़ के निवेश में हुई। जहां बैंक को नुकसान पहुंचा है।

चीनी मिल में फंसाएं 36 करोड़
राज्य सहकारी बैंक ने ईकबालपुर चीनी मिल में भी 36 करोड़ रुपये ऋण देकर फंसा दिए हैं। हालांकि इसमें अधिकतर पैसा जिला सहकारी बैंकों का है। जिन्होंने चीनी मिल को 36 करोड़ का ऋण देने से इंकार किया था।

रिलायंस कैपिटल में लगा पैसा लगभग डूब ही गया है। शेष 21 करोड़ करोड़ में पांच करोड़ वापस आ गया है। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि शेष 21 करोड़ किसी तरह से वापस आ जाए। इन तमाम गड़बड़ियों के लिए जो भी लोग दोषी हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। कार्रवाई की प्रक्रिया अंतिम दौर में है।
बीएम मिश्रा, एमडी राज्य सहकारी बैंक

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