जल निगम में गैर तकनीकी एमडी के कारण हो रहा नुकसान, महासंघ ने खोला मोर्चा, एक्ट को ताक पर रख गैर तकनीकी अफसर को एमडी बनाने का विरोध, विभागीय मुख्य अभियंता को ही जल निगम एमडी बनाने की मांग

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जल निगम में गैर तकनीकी एमडी के कारण हो रहा नुकसान, महासंघ ने खोला मोर्चा, एक्ट को ताक पर रख गैर तकनीकी अफसर को एमडी बनाने का विरोध, विभागीय मुख्य अभियंता को ही जल निगम एमडी बनाने की मांग

जल निगम में लंबे समय से प्रभारी व्यवस्था के तहत गैर तकनीकी अफसर को एमडी बनाने का विरोध तेज हो गया है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक महासंघ ने इसे एक बड़ी अव्यवस्था बताते हुए मोर्चा खोल दिया है। सीएम को पत्र लिख कर तत्काल वरिष्ठ मुख्य अभियंता को ही एमडी का चार्ज देने की मांग की।
महासंघ के अध्यक्ष दीपक जोशी और महासचिव जगमोहन सिंह नेगी ने सीएम को लिखे पत्र में कहा कि जल निगम पूरी तरह इंजीनियरिंग विभाग है। अभी तक इंजीनियर ही एमडी रहे हैं। पूर्व में भी नियमित मुख्य अभियंता न होने पर शासन ने ही तत्कालीन वरिष्ठ अधीक्षण अभियंता एसके पंत को ही प्रभारी एमडी का चार्ज दिया था। बाद में शासन के अफसरों ने अपनी मनमानी करते हुए नौकरशाहों को प्रभारी एमडी बना दिया। उस दौरान तर्क दिया गया कि ये नितांत अस्थाई व्यवस्था है। लेकिन एक साल बाद भी किसी इंजीनियर को चार्ज नहीं दिया गया। जबकि समान प्रकृति के विभाग जल संस्थान में एचओडी इंजीनियर ही हैं। लोनिवि, सिंचाई, यूपीसीएल, पिटकुल, यूजेवीएनएल, ग्रामीण निर्माण विभाग, लघु सिंचाई में भी इंजीनियर ही एचओडी है। ऐसे में जल निगम में क्यों नौकरशाही प्रयोग कर रही है। कहा कि वरिष्ठ मुख्य अभियंता को तत्काल चार्ज दिया जाए।

जल जीवन मिशन के कार्यों पड़ रहा सीधा असर
अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि मौजूदा एमडी उदयराज के पास अपर सचिव पेयजल समेत पीएमजीएसवाई, गन्ना, नमामि गंगे समेत कई चार्ज है। वे चाह कर भी जल निगम को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं। समय की कमी के कारण पूरी तरह तकनीकी जल निगम की फाइलों को भी शासन में मंगाया जाता है। इसका सीधा असर पीएम नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन पर पड़ रहा है। अफसर सिर्फ टेंडर, प्रमोशन, ट्रांसफर, पोस्टिंग तक ही सीमित हैं। फील्ड में हो रहे कार्यों की ओर से किसी का कोई ध्यान नहीं है।

एक्ट के बाहर जाकर तैनाती, विवाद में फंस सकती हैं योजनाएं
अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि गैर तकनीकी अफसर की एमडी पद पर तैनाती सीधे तौर पर उत्तराखंड जल संभरण एवं सीवर व्यवस्था अधिनियम 1975 का सीधा उल्लंघन है। एक्ट में साफ है कि पेयजल, सीवर क्षेत्र में अनुभवी इंजीनियर ही एमडी पद के लिए नियुक्त किया जाएगा। ताकि जटिल तकनीकी पम्पिंग और सीवरेज योजनाओं पर सही काम हो। गैर तकनीकी अफसर कैसे तकनीकी योजनाओं की स्वीकृति किस आधार पर दे सकता है। एक्ट का उल्लंघन कर योजनाओं को मंजूरी देने से योजनाएं विवाद में भी फंस सकती हैं।

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