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ये है धामी भू कानून की खासियत, उद्योग के नाम पर जमीन लेकर नहीं कर सकेंगे खेल, दो साल में जमीन का इस्तेमाल न होने पर सरकार में निहित होगी जमीन, मंजूरी के बाद जमीन लेकर दुरुपयोग करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई

ये है धामी भू कानून की खासियत, उद्योग के नाम पर जमीन लेकर नहीं कर सकेंगे खेल, दो साल में जमीन का इस्तेमाल न होने पर सरकार में निहित होगी जमीन, मंजूरी के बाद जमीन लेकर दुरुपयोग करने वालों पर हो सख्त कार्रवाई


देहरादून।

सरकार से मंजूरी लेकर जमीन खरीदने वालों पर नकेल कसने को सख्त कानून बने। मंजूरी लेकर जमीन लेने वाले यदि दो साल के भीतर उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो वो जमीनें सरकार में निहित की जाएं। जमीन राज्य सरकार में निहित किए जाने को सख्त कानून बनाया जाए। इसके साथ ही कृषि भूमि को दोबारा अकृषि कर दिया जाए।
मौजूदा समय में राज्य में गैर कृषि प्रयोजन को खरीदी गई कृषि भूमि को अकृषि किए जाने के नियम सरल कर दिए गए थे। इसके तहत एसडीएम को अधिकार दिया गया कि दस दिन के भीतर धारा 143 की कार्रवाई को संपन्न किया जाए। कृषि भूमि को गैर कृषि घोषित करते हुए खतौनी में दर्ज किया जाए। लेकिन क्रय अनुमति आदेश में दो वर्ष में भूमि का उपयोग निर्धारित प्रयोजन में करने की शर्त रखी गई। यदि तय समय में उपयोग न करने या किसी अन्य उपयोग में लाने या जमीन को आगे बेचने की शिकायत आती है, तो जमीन सीधे सरकार में निहित रखने का नियम है।
समिति ने सिफारिश की है कि यदि 10 दिन में गैर कृषि प्रयोजन को खरीदी गई कृषि भूमि को गैर कृषि घोषित कर दिया जाता है, तो शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में ये जमीन धारा-167 के तहत राज्य सरकार में निहित नहीं की जा सकेगी। इसमें समिति ने एक नई उपधारा जोड़ने की सिफारिश की है। इसके तहत इस जमीन को दोबारा कृषि भूमि घोषित करते हुए ही उसे राज्य सरकार में निहित किया जा सकेगा। इसके साथ ही दो साल में जमीन का सही उपयोग न करने पर राज्य सरकार को ही विशेष परिस्थिति में ये समय पहले दो साल और बाद में एक साल और बढ़ाने का अधिकार होगा। पारदर्शिता लाने को जमीन खरीद फरोख्त, भूमि हस्तांतरण और स्वामित्व संबंधी सभी प्रक्रिया ऑनलाइन किए जाने पर जोर दिया गया। सभी प्रक्रिया एक ही वेबसाइट के माध्यम से पब्लिक डोमेन में हो।

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