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पर्यटकों को ट्रैकिंग शुल्क में छूट दिलाने को पर्यटन सचिव ने लगाया ऐड़ी चोटी का जोर, वन विभाग से मांगी छूट, वन विभाग तय पर्वतों पर एक्सपीडिशन शुल्क के रूप में ले रहा है 80 हजार रुपये, पर्यटन विभाग ने शुल्क को न्यूनतम से न्यूनतम करने का वन विभाग के समक्ष रखा प्रस्ताव

पर्यटकों को ट्रैकिंग शुल्क में छूट दिलाने को पर्यटन सचिव ने लगाया ऐड़ी चोटी का जोर, वन विभाग से मांगी छूट, वन विभाग तय पर्वतों पर एक्सपीडिशन शुल्क के रूप में ले रहा है 80 हजार रुपये, पर्यटन विभाग ने शुल्क को न्यूनतम से न्यूनतम करने का वन विभाग के समक्ष रखा प्रस्ताव

देहरादून।

पर्यटकों को ट्रैकिंग शुल्क में वन विभाग से राहत नहीं मिल रही है। वन विभाग पर्वतारोहण के लिए प्रति एक्सपीडिशन शुल्क के रूप में 80 हजार रुपये तक वसूल रहा है। पर्यटन विभाग ने इस शुल्क को कम से कम करने की मांग वन विभाग से की है। ताकि इसका लाभ साहसिक पर्यटन सेक्टर से जुड़े लोगों को मिल सके।
इस मसले पर पर्यटन विभाग, इंडियन माउंटेनिंग फाउंडेशन और वन विभाग के अफसरों के बीच बैठक हुई। बैठक में आईएमएफ और पर्यटन की ओर से मजबूती के साथ पक्ष रखा गया। बताया गया कि राज्य में पवर्तारोहण से जुड़ी मंजूरियों की प्रक्रिया को वन विभाग के स्तर से सरल बनाया जाए। सिंगल विंडो सिस्टम के बावजूद तमाम तरह की दिक्कतों का सामना पर्यटकों को करना पड़ रहा है। इसके साथ ही तमाम तरह के शुल्क अलग लगाए गए हैं। जिनका भुगतान करना सभी के बस में नहीं है। 80 हजार प्रति टूर शुल्क को घटाने का प्रस्ताव रखा गया।
बताया गया कि पहले राज्य में सालाना दस हजार से अधिक पर्यटक पर्वतारोहण को पहुंचते थे। जब से शर्तों को सख्त किया गया है। शुल्क बढ़ाया गया है। पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है। कई चोटियों पर पर्वतारोहण की मंजूरी तक नहीं दी जा रही है। इसका सीधा असर पर्यटन कारोबार पर पड़ रहा है।

52 अतिरिक्त चोटियों को मिलनी है मंजूरी
इंडियन माउंटेनिंग फैडरेशन की ओर से राज्य की 52 चोटियों को भी मान्यता दी है। जहां पर्वतारोहण किया जा सकता है। इसके बावजूद अभी तक उत्तराखंड वन विभाग की ओर से इन चोटियों को नोटिफाइड नहीं किया गया है। इसके लिए भी पर्यटन विभाग की ओर से वन विभाग को प्रस्ताव दिया गया।

वन विभाग के समक्ष मजबूती के साथ अपना पक्ष रख दिया गया है। ताकि साहसिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके। शुल्क को कम करने के लिए कहा गया है। साथ ही आईएमएफ से नोटिफाइड पीक को वन विभाग की ओर से भी अधिसूचित करने को कहा गया है।
दिलीप जावलकर, सचिव पर्यटन

देश में साहसिक पर्यटन के लिए सबसे अधिक लोग उत्तराखंड आते हैं। पहले ये संख्या दस से 20 हजार से भी अधिक रहती थी। वन विभाग की बंदिशों, शुल्क समेत विभागों के बीच समन्वय न होने का नुकसान पर्यटकों को उठाना पड़ रहा है। शुल्क को कम किया जाए। मंजूरी देने की व्यवस्था को सिंगल विंडो सिस्टम में लाया जाए।
मंजूल रावत, एडवेंचर टूरिज्म एक्सपर्ट

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