Site icon GAIRSAIN TIMES

पिछले सालों में यूपीसीएल ने बिजली खरीद पर लुटाया जमकर पैसा, इस बार एनर्जी बैकिंग के जरिए महंगी बिजली से बचने की तैयारी, यूपीसीएल ने कंपनियों के साथ बढ़ाई करार की प्रक्रिया, मांगे आवेदन, जू्न से सितंबर तक दी जाएगी 755 एमयू बिजली, नवंबर से फरवरी में ली जाएगी 791 एमयू बिजली 

पिछले सालों में यूपीसीएल ने बिजली खरीद पर लुटाया जमकर पैसा, इस बार एनर्जी बैकिंग के जरिए महंगी बिजली से बचने की तैयारी, यूपीसीएल ने कंपनियों के साथ बढ़ाई करार की प्रक्रिया, मांगे आवेदन, जू्न से सितंबर तक दी जाएगी 755 एमयू बिजली, नवंबर से फरवरी में ली जाएगी 791 एमयू बिजली

देहरादून।

सर्दियों में बिजली उत्पादन कम रहने के दौरान बिजली का संकट न खड़ा हो, इसके लिए अभी से एनर्जी बैंकिंग शुरू कर दी गई है। ताकि सर्दियों में महंगी बिजली न खरीदनी पड़े। इसके लिए ऊर्जा निगम ने कंपनियों और राज्यों से आवेदन मांग लिए हैं। ऊर्जा निगम कंपनियों और राज्यों को जून से सितंबर तक चार महीने कुल 755 मिलियन यूनिट बिजली देगा। बदले में कंपनियां नवंबर से फरवरी तक चार महीने में 791 एमयू बिजली लौटाएंगी।
इसके लिए यूपीसीएल ने महीने वार के हिसाब से ब्यौरा जारी कर दिया है। उसी अनुरूप कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं। जो कंपनी सबसे अधिक लाभ यूपीसीएल को उपलब्ध कराएगी, उसके साथ करार किया जाएगा। जून 2021 में 72 एमयू, जुलाई में 177 एमयू, अगस्त में 289 एमयू, सितंबर में 216 एमयू बिजली दी जाएगी। इसके बदले उत्तराखंड को नवंबर में 72 एमयू, दिसंबर में 262 एमयू, जनवरी 261 एमयू, फरवरी में 196 एमयू बिजली राज्य को वापस मिलेगी। इससे यूपीसीएल को महंगी बिजली से निजात मिलेगी।
यूपीसीएल ने पिछले सालों में पॉवर परचेज पर जमकर पैसा बहाया। एनर्जी बैंकिंग सही तरीके से नहीं की गई। शॉर्ट टर्म पॉवर परचेज एग्रीमेंट नहीं किए गए। केंद्र सरकार की रिवर्स बिडिंग प्रक्रिया का लाभ नहीं उठाया गया। इसके कारण पॉवर परचेज का खर्चा पिछले कुछ सालों के भीतर 6457.18 करोड़ तक पहुंच गया। जो पांच साल पहले तक 3500 करोड़ रुपये होता था। अकेले 2018-19 से 2019-20 में पॉवर परचेज 380.60 करोड़ तक बढ़ गया। जो एक साल में 6.26 प्रतिशत की बेतहाशा वृद्धि है। यूपीसीएल की कुल कमाई जहां 6940.92 करोड़ है। वही खर्चा 7569.89 करोड़ है। इस तरह यूपीसीएल 628.97 करोड़ के घाटे में है।

Exit mobile version