यूपीसीएल आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन में हेरफेर, सचिव ने दिए जांच के आदेश, यूपीसीएल से ज्यादा पैसा लेकर कर्मचारियों को हो रहा कम भुगतान, बिजली घरों में काम कर रहे कर्मचारियों के नाम पर लाखों का हेरफेर
देहरादून।
यूपीसीएल में बिजली घरों में ठेका कर्मचारियों के वेतन भुगतान में हेरफेर हो रहा है। यूपीसीएल से ज्यादा पैसा लेकर ठेकेदार कर्मचारियों को कम भुगतान कर रहे हैं। इस तरह बिजली घरों में काम कर रहे कर्मचारियों के नाम पर लाखों की गड़बड़ी की जा रही है। इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए सचिव ऊर्जा राधिका झा ने निदेशक अतुल अग्रवाल को पड़ताल के निर्देश दिए।
यूपीसीएल ने राज्य में कई बिजली घरों को निजी हाथों में दिया है। कुमाऊं, हरिद्वार, गढ़वाल, देहरादून में ठेके पर संचालन हो रहा है। इन सब स्टेशनों पर काम करने वाले कर्मचारियों को ठेकेदारों के माध्यम से भुगतान हो रहा है। एक एक कर्मचारी के वेतन भुगतान को करार में 15 से 20 हजार रुपये तक का पैसा ठेकेदार को दिया जाता है। इसके बावजूद ठेकेदार कर्मचारियों को पांच हजार रुपये का ही भुगतान कर रहे हैं। कहीं लाइनमेन के वेतन से चार हजार, तो सब स्टेशन ऑफिसर के रूप में रखे गए कर्मचारी के वेतन से पांच हजार से ज्यादा का हेरफेर किया जा रहा है।
वेतन भी कर्मचारियों को सीधे बैंक के खाते से देने की बजाय ठेकेदार नगद पकड़ा रहे हैं। कर्मचारियों को न ईपीएफ और न ही ईएसआई, बीमा तक का लाभ नहीं मिल पा रहा है। ये समस्या अकेले यूपीसीएल में ही नहीं, बल्कि यूजेवीएनएल में भी है। यहां भी कई बिजली घरों का संचालन ठेके पर दिया गया है। ये दिक्कत वहां भी आ रही है। इन तमाम शिकायतों के सामने आने पर सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साफ किया है कि मानक के अनुसार वेतन भुगतान सुनिश्चित कराया जाए।
शिकायत पर जा रही है नौकरी
कम वेतन देने पर यदि कर्मचारी शिकायत कर रहे हैं, तो ठेकेदार तत्काल उनकी सेवाएं समाप्त कर रहा है। इस पर भी सचिव ऊर्जा ने ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
बिजली घर ठेके पर, काम कर रहे उपनल वाले
कुमाऊं और हरिद्वार जोन में कई जगह से ऐसी भी शिकायतें आ रही हैं कि जिन बिजली घरों को कागजों में ठेकेदार को देकर हर महीने लाखों का भुगतान हो रहा है। वहां आज भी काम उपनल, एसएचजी कर्मचारियों से ही लिया जा रहा है।
एसएचजी के नाम पर भी बड़े झोल
यूपीसीएल में 1056 कर्मचारी स्वयं सहायता समूह(एसएचजी) के जरिए रखे गए हैं। कई जगह इन एसएचजी कर्मचारियों को भी ठेकेदार कम वेतन दे रहे हैं। सबसे अधिक शिकायत कुमाऊं जोन से एक कंपनी को लेकर आ रही है। सूत्रों की मानें तो इन एसएचजी का भी बड़े स्तर पर संचालन पॉवर सेक्टर से जुड़े कई कर्मचारी नेता कर रहे हैं।
सरकार के सख्त मानक हैं कि ठेका कर्मचारियों को भी न्यूनतम वेतन भुगतान होगा। यूपीसीएल भी इन्हीं मानकों के अनुसार ठेकेदारों को पैसा उपलब्ध करा रहा है। इसके बाद भी ठेकेदार कर्मचारियों को पूरा पैसा नहीं दे रहे हैं। ये सीधे तौर एक बड़ा वित्तीय हेरफेर है। इसकी न सिर्फ जांच कराई जाए, बल्कि कर्मचारियों को मानक अनुसार पूरा पैसा भुगतान कराया जाए।
इंसारुल हक, संयोजक विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा
यूपीसीएल अफसरों को दो टूक निर्देश दे दिए गए हैं कि मानक के विपरीत कर्मचारियों को भुगतान हुआ, तो कार्रवाई होगी। कर्मचारियों को पूरा पैसा वेतन के रूप में भुगतान हो, इसकी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी तरह की गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राधिका झा, सचिव ऊर्जा