यूपीसीएल देश के पॉवर सेक्टर में सात वें से 13 वें स्थान पर पहुंचा, खराब पॉवर सप्लाई, लाइन लॉस, राजस्व संग्रह में रहा फिसड्डी
देहरादून।
यूपीसीएल का खराब प्रदर्शन लगातार दूसरे साल भी जारी रहा। पिछली बार यूपीसीएल तीसरे स्थान से सातवें स्थान पर पहुंचा था। इस बार यूपीसीएल सातवें से 13 वें स्थान पर पहुंच गया है। ऊर्जा मंत्रालय की देश के ऊर्जा निगमों की जारी की गई रैकिंग में ये गिरावट देखने को मिली है।
इस खराब प्रदर्शन के लिए यूपीसीएल के भीतर का सिस्टम दोषी है। योजनाओं का समय पर पूरा न होना। खराब प्रदर्शन, बिजली की सही सप्लाई न होना, बिजली चोरी पर लगाम कस पाने में नाकाम रहना, बढ़ते लाइन लॉस का कारण रैकिंग में फिसलना रहा है। देश की पॉवर सप्लाई करने वाली कंपनियों का समय पर भुगतान न करना भी सही मैनेजमेंट की निशानी नहीं मानी गई। यूपीसीएल के ऊपर एकबार करीब 1500 करोड़ का बकाया था। इससे लेट पैमेंट सरचार्ज लगने की नौबत आती थी। इसके साथ ही राज्य सरकार का भी सालाना दिए जाने वाला पैसा भी यूपीसीएल भुगतान करने में विफल रहा।
कांग्रेस राज में टॉप टू स्टेट में रहा उत्तराखंड
2015 में कांग्रेस शासन काल में इसी यूपीसीएल ने बड़ी छलांग लगाई थी। देश के 27 वें ऊर्जा निगम से पहले पांचवें और फिर तीसरे नंबर पर पहुंच गया था। जबकि राज्यों की श्रेणी में गुजरात के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया था। इस बार ये स्थिति 13 वें नंबर पर पहुंच कर बदतर हो गई है।
घपले, घोटालों से भरपूर निगम
ऊर्जा निगम घपले, घोटालों से भरपूर निगम है। बिलिंग के पैसे का गबन यहां आम घटना है। रुद्रपुर, काशीपुर, सितारगंज, प्रेमनगर में 25 लाख से 45 लाख तक के गबन यहां कई बार पकड़े गए। स्टील कंपनियों पर करोड़ों के बकाया और बिजली चोरी हमेशा यूपीसीएल का गणित बिगाड़ते हैं। हरिद्वार में हुए 55 लाख के गबन के साथ ही कई ऐसी गड़बड़ियां रही, जिसमें निगम को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा।
ऐसी स्थिति क्यों आई, इसकी पड़ताल की जाएगी। ऊर्जा निगम को दोबारा फिर उसी स्थिति में खड़ा किया जाएगा। घाटे से मुनाफे में बदला जाएगा। इसके लिए सख्त फैसले लेने पड़े, तो भी पीछे नहीं हटा जाएगा। पूरे सिस्टम को नये सिरे से पटरी पर लाया जाएगा।
हरक सिंह रावत, ऊर्जा मंत्री