विधानसभा में उठा कर्मकार बोर्ड की गड़बड़ियों का मसला, विपक्ष के सवालों में घिरे श्रम मंत्री हरक सिंह, विधायक मनोज रावत का सीधा सवाल, बिना टीएसी, ईएफसी के किस आधार पर कंपनी को कोटद्वार अस्पताल को जारी हुए 20 करोड़, कर्मकार बोर्ड को कोई वित्तीय एजेंसी नहीं, किस आधार पर बांटा लोन, जब सही है तो क्यों कराई जा रही जांच
देहरादून।
विधानसभा में कर्मकार बोर्ड की गड़बड़ियों का मसला जोरशोर से उठा। विपक्ष के सवालों में श्रम मंत्री हरक सिंह घिरे नजर आए। विधायक मनोज रावत ने सीधा सवाल किया कि बिना टीएसी, ईएफसी के किस आधार पर ब्रिज एंड रूफ कंपनी को कोटद्वार अस्पताल के लिए 20 करोड़ रुपये जारी किए। कहा कि कर्मकार बोर्ड को कोई वित्तीय एजेंसी नहीं, तो किस आधार पर लोन बांटा गया। जब सब सही है तो जांच क्यों कराई जा रही है।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के कार्यों, विवादों, अनियमितताओं से जुड़े सवालों पर श्रम मंत्री हरक सिंह रावत विपक्ष के सामने सदन में घिरे नजर आए। पूरी तैयारी के साथ सदन में पहुंचे केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने श्रम मंत्री के पसीने छुड़ाते हुए उन्हें घेरा। श्रम मंत्री ने कहा कि यदि मजदूरों के हितों के लिए उन्हें नियम भी तोड़ने पड़े, तो वे गुरेज नहीं करेंगे। इस पर विधायक ने घेरते हुए कहा कि मंत्री श्रमिकों के पैसे के कस्टोडियन हैं, उन्हें इसे लुटाने का अधिकार नहीं है।
कर्मकार बोर्ड के कामकाज, उसकी योजनाओं को लेकर सिर्फ कांग्रेस के मनोज रावत, ममता राकेश ने ही नहीं, बल्कि भाजपा विधायक धन सिंह नेगी ने भी कई सवाल प्रश्न काल के लिए लगाए। विधायक मनोज रावत ने बोर्ड के कामकाज में साइकिल, सिलाई मशीन, लाइट, कंबल वितरण को लेकर बोर्ड की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। कहा कि बोर्ड कोई वित्तीय एजेंसी नहीं है। ऐसे में बोर्ड ने श्रमिकों के 20 करोड़ पैसे को कैसे बिना मंजूरी के कोटद्वार अस्पताल के नाम पर जारी कर दिया। श्रम मंत्री हरक सिंह ने जवाब दिया कि सीएम की मंजूरी के बाद ही ये पैसा जारी किया गया।
विधायक ने सवाल किया कि पांच करोड़ से ऊपर के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए बजट तभी जारी होता है, जब प्रोजेक्ट की पहले शासन स्तर से टेक्निकल एप्रूवल कमेटी(टीएसी) और सचिव वित्त की अध्यक्षता में गठित व्यय वित्त समिति(ईएफसी) से मंजूरी मिले। कैसे इन दोनों समितियों क मंजूरी के सीधे पैसा ईएसआई को न देकर कार्यदायी संस्था के खाते में डाल दिया गया। यदि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है, तो क्यों सरकार ने आईएएस अफसर वी षणमुगम की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया। क्यों कंपनी को तत्काल पूरा 20 करोड़ लौटाने को रिकवरी नोटिस भेजा गया। व
विधायक ने कहा कि ये तमाम सवाल कोई विपक्ष ने नहीं उठाए हैं, बल्कि सत्ता पक्ष की ओर से गठित नये कर्मकार बोर्ड ने ही उठाए। कहा कि श्रमिकों के पैसे की बंदरबांट का किसी को कोई अधिकार नहीं है। श्रम मंत्री हरक सिंह ने कहा कि कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई है। उनका मकसद श्रमिकों को लाभ पहुंचाना है। उन्होंने इस काम को पिछले बोर्ड और सरकारों से कहीं अधिक बेहतर किया है।
बोर्ड ने तीन साल में खर्च किए 287.34 करोड़
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने 2017 से लेकर 2020 के बीच श्रमिकों के कल्याण के नाम पर कुल 287.34 करोड़ रुपये खर्च किए। ये जानकारी स्वयं श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने सदन में दी।
3.70 लाख श्रमिक बोर्ड में पंजीकृत
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में अभी तक 370838 लाख श्रमिक पंजीकृत हो चुके हैं। जबकि 2017 से पहले संख्या एक लाख से नीचे थी। ईएसआई में संगठित क्षेत्र के पंजीकृत श्रमिकों की संख्या 644060 है। असंगठित क्षेत्र का आंकड़ा ही सरकार के पास नहीं है।