पीने के पानी से गाड़ी धोना, सिंचाई करना अब पड़ रहा है भारी, पानी के मीटर लगने से 60 प्रतिशत का पानी का बिल हुआ कम, 40 प्रतिशत लोगों के पानी के बिलों में आया जबरदस्त उछाल

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पीने के पानी से गाड़ी धोना, सिंचाई करना अब पड़ रहा है भारी, पानी के मीटर लगने से 60 प्रतिशत का पानी का बिल हुआ कम, 40 प्रतिशत लोगों के पानी के बिलों में आया जबरदस्त उछाल

पानी के मीटर लगने से 60 प्रतिशत लोगों के घरों का पानी का बिल 50 प्रतिशत तक कम हुआ है। दूसरी ओर 40 प्रतिशत लोगों के पानी के बिलों में जबरदस्त उछाल आया है। वॉटर मीटर लगने के बाद पानी की एक एक बूंद का हिसाब हो रहा है। ऐसे में पीने के पानी से गाड़ी धोने, सिंचाई करने समेत जानवरों को नहलाना अब लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है।
वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत देहरादून नथुवावाला में 4220 लोगों के घरों में पानी के मीटर लग चुके हैं। पानी के मीटर लगने के बाद पहली बार लोगों के घरों में दो महीने में पानी का बिल आया है। 1173 लोग ऐसे हैं, जिनका पानी का बिल इस बार 390 रुपये आया है। जबकि पहले यही बिल 725 रुपये के करीब आता था। करीब 60 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनका पानी का बिल पहले के मुकाबले कम हुआ है।
दूसरी ओर 726 लोग ऐसे हैं, जिनका पानी का बिल अब एक से दो हजार, 229 लोगों का दो से तीन हजार, 96 का तीन से चार हजार, 50 का चार से पांच हजार, 25 का पांच से छह हजार, 22 का छह से सात हजार, 16 का सात से आठ हजार के बीच आ रहा है। जबकि पहले यही बिल 725 रुपये के करीब आता था। सात लोग ऐसे हैं, जिनका बिल आठ से नौ हजार, नौ लोगों का नौ से दस हजार, आठ का दस से 12 हजार के बीच आया। नौ लोग ऐसे हैं, जिनका बिल 12 से 20 हजार के बीच तक आया।

चालीस हजार लीटर तक पानी खर्च करने पर ही न्यूनतम पानी का बिल
मीटर लगने के बाद दो महीने में 40 हजार हजार लीटर तक पानी खर्च करने पर ही न्यूनतम पानी का बिल 355 रुपये और 35 रुपये मीटर किराए के रूप में लिया जा रहा है। दो महीने में पानी की खपत 40 हजार लीटर से अधिक होने पर 12.93 रुपये प्रति हजार लीटर बिल लिया जा रहा है। कमर्शियल कनेक्शन पर दो महीने में 20 हजार लीटर तक पानी खर्च करने पर 1057 रुपये बिल लिया जा रहा है। इससे अधिक खर्च होने पर 29.38 रुपये प्रति हजार लीटर बिल लिया जा रहा है। ऐसे में लोगों के पानी का इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए किए जाने पर बिल अधिक आ रहा है।

जल संस्थान को बड़ा वित्तीय लाभ
वॉटर मीटर लगाने के बाद जल संस्थान के राजस्व पर भी असर पड़ा है। 4220 घरों में जहां पूर्व की व्यव्स्था में पानी का कुल बिल 30.59 लाख आता था। अब नई व्यवस्था के बाद यही बिल 45.08 लाख राजस्व आ रहा है। जो पूर्व की व्यवस्था से 15 लाख अधिक है।

वॉटर मीटर लगने के बाद पानी का बिल कम हो गया है। बिलों में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है। पानी की सप्लाई भी अब 16 घंटे से अधिक हो रही है। जो पहले दो से चार घंटे होती थी। पानी बिना मोटर के अब 12 मीटर ऊंचाई पर छत तक चढ़ रहा है। मोटर चलाने की भी जरूरत नहीं पड़ रही है। जो लोग पीने के पानी से सिंचाई, गाड़ी धोने का काम कर रहे हैं, उनका ही बिल अधिक आया है।
विनोद रमोला, अधीक्षण अभियंता नगर

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