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तीन साल में कर्मकार बोर्ड ने खर्च किए 350 करोड़, नहीं मिल रहा हिसाब, 2017 से अभी तक 200 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं श्रमिक और उनके आश्रितों को 

तीन साल में कर्मकार बोर्ड ने खर्च किए 350 करोड़, नहीं मिल रहा हिसाब, 2017 से अभी तक 200 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं श्रमिक और उनके आश्रितों को

देहरादून।

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में 2017 से लेकर अभी तक 350 से अधिक का बजट खर्च हुआ है। इतना बजट 2017 से पहले 12 वर्षों में भी खर्च नहीं हुआ। साढ़े तीन सालों में 200 करोड़ से अधिक का बजट श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं में सीधे खातों में भेजा गया। 150 करोड़ रुपये उपकरणों की खरीद पर खर्च किए गए। अब इस साढ़े सौ करोड़ से अधिक के हुए खर्च का हिसाब किताब नहीं मिल रहा है।
बोर्ड में श्रमिकों को कई प्रकार की पेंशन, श्रमिकों के बच्चों को छात्रवृति समेत बीमारी, विवाह, निधन पर आश्रितों को सहायता दी जाती है। ये पैसा सीधे श्रमिकों के खाते में आता है। इसमें सवाल श्रमिकों के पंजीकरण पर उठ रहा है। इसमें जांच का पहलू गैर श्रमिकों को श्रमिक लाभ देने का है। इसके लिए बोर्ड श्रमिकों के पंजीकरण की जांच करा रहा है। दूसरा साढ़े तीन सालों में 150 करोड़ की लागत से खरीदी गई साइकिल, सिलाई मशीन, टूल किट की पड़ताल होनी है। क्योंकि इसी खरीद में 45 करोड़ का हिसाब नहीं मिल रहा है। कई चेक की भी जानकारी नहीं मिल रही है। ऐेसे में बोर्ड के स्तर पर 350 करोड़ का हुआ खर्चा सवालों के घेरे में है।

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