22 हजार कर्मचारी मांग रहे नियमितीकरण, समान काम का समान वेतन, संविदा पर रखने से लेकर वेतन बढ़ाने तक के हैं सरकार के पास विकल्प 

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22 हजार कर्मचारी मांग रहे नियमितीकरण, समान काम का समान वेतन, संविदा पर रखने से लेकर वेतन बढ़ाने तक के हैं सरकार के पास विकल्प

देहरादून।

राज्य के आंदोलनरत 22 हजार के करीब उपनल कर्मचारियों की मांगों के निस्तारण का सरकार के समक्ष क्या विकल्प है, इस पर लगातार विचार मंथन चल रहा है। कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं। चुनावी साल होने के कारण इस बार कर्मचारी ठोस हल निकले बिना आंदोलन से पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में सरकार कैसे बीच का रास्ता निकाल चुनावी साल में इस एक बड़े तबके के साथ तालमेल बैठाने का प्रयास करेगी। इसके लिए सरकार के पास कई विकल्प भी मौजूद हैं।
पूर्व में हरीश रावत सरकार ने विशेष तौर पर उपनल कर्मचारियों के पक्ष में एक निर्णय कैबिनेट से कराया। इसमें कैबिनेट आदेश के बाद से पांच वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को संविदा का दर्जा दिया जाएगा। संविदा कर्मचारियों को सरकार की संविदा कर्मचारी नियमितीकरण नियमावली के तहत नियमित किया जाएगा। हालांकि हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों को ही नियमित किए जाने की सरकार की नियमावली को एक सिरे से निरस्त कर दिया था। हालांकि इसी हाईकोर्ट से उपनल कर्मचारियों को नियमितीकरण और समान काम का समान वेतन देने के आदेश भी हुए।
ऐसे में सरकार के सामने एक विकल्प हाईकोर्ट के आदेश को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट से केस वापस लेने का भी विकल्प है। हालांकि इसके लिए 22 हजार उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के साथ ही समान काम का समान वेतन भी देना होगा। दूसरा विकल्प पूर्व सीएम हरीश रावत सरकार वाली नीति को आगे बढ़ाने का भी हो सकता है। एक विकल्प, जिस पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है, वो सरकारी भर्तियों में उपनल कर्मियों को अधिक से अधिक वैटेज देने का भी है।

अभी तक क्या क्या हुआ
हर एक दो साल में सरकार की ओर से वेतन वृद्धि की जा रही है।
पूर्व में प्रोत्साहन भत्ते के रूप में 2800 रुपये प्रति महीने की दर से तीन तीन महीने में भुगतान हुआ।
पिछले ही वर्ष वेतन को बढ़ाया गया, हालांकि कर्मचारी समान काम का समान वेतन मांग रहे हैं।
लेबर कोर्ट ने यूपीसीएल के मामले में समान काम का समान वेतन और नियमितीकरण के आदेश दिए।
हाईकोर्ट ने भी इन आदेशों को यथावत रखते हुए सरकार को कार्रवाई के निर्देश दिए।
इन आदेशों को यूपीसीएल और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

सरकार के सामने मौजूद विकल्प
सुप्रीम कोर्ट से केस वापस लेना, हाईकोर्ट का आदेश लागू करना
उपनल कर्मचारियों को संविदा कर्मचारी का दर्जा देना
एक्ट बना कर नियमितीकरण की दिशा में कदम बढ़ाना
कर्मचारियों को यूपीसीएल के पांच कर्मचारियों की तरह समान काम का समान वेतन देना
भर्ती प्रक्रिया में उपनल कर्मचारियों को विशेष छूट और विशेष वरियता देना

हाईकोर्ट के दो अलग अलग आदेश
पूर्व में हाईकोर्ट के एक आदेश ने सरकार की नियमितीकरण नियमावली को पलट कर रख दिया था। पूर्व में 2009, 2011, 2013 की जिस नियमितीकरण नियमावली से कर्मचारी नियमित हुए, उसे 2016 में हाईकोर्ट ने एक सिरे से खारिज कर दिया था। वहीं ठीक उसी समय हाईकोर्ट की एक दूसरी बेंच ने उपनल कर्मचारियों को नियमितीकरण और नियमित न होने वाले कर्मचारियों को समान काम का समान वेतन देने के आदेश दिए।

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