मिनिस्टीरियल कर्मचारियों को मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर प्रमोशन में चाहिए रियायत, पुरानी एसीपी का लाभ न मिलने से भी नाराज, एमएसीपी बंद होने व वसूली आदेश से भी भड़के हुए हैं कर्मचारी
देहरादून।
उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के महामंत्री पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि शासन के साथ वार्ता में तय हुआ था कि मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नति को पात्रता अवधि 25 वर्ष से 22 वर्ष की जाएगी। इस पर भी कोई काम नहीं हुआ। शासन में इस फाइल को डंप कर दिया गया है। जबकि सीएम के स्पष्ट आदेश है कि एक सप्ताह से अधिक समय तक कोई फाइल लटकाई न जाए। इसके बाद भी कोई कार्रवाई न होने से कर्मचारी आक्रोश में हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील दत्त कोठारी और महासचिव पूर्णानंद नौटियाल ने कहा कि एसीपी का लाभ देने का आदेश निरस्त करने और पूर्व में हुए भुगतान की वसूली के आदेश से कर्मचारी भड़के हुए हैं। पूर्व में भी इस पर कड़ा एतराज जताया गया। इसके बाद भी सरकार की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कहा कि वित्त ने एक विवादित आदेश कर सरकार और कर्मचारियों को बांटने का काम किया है। वित्त का आदेश है कि जिन संवर्गों को स्टाफिंग पैटर्न का लाभ मिल रहा है, उन संवर्गों को एसीपी की व्यवस्था के तहत पदोन्नत वेतनमान का लाभ नहीं मिलेगा। जिन्हें ये लाभ मिला है, उनसे वसूली होगी। जबकि असल स्थिति ये है कि किसी भी संवर्ग के कर्मचारी को स्टाफिंग पैटर्न और एसीपी का दोहरा लाभ कभी मिला ही नहीं। न ही आठ मार्च 2011 को हुए आदेश में ऐसे किसी दोहरे लाभ की व्यवस्था का प्रावधान है।
इस आदेश में भी कहीं स्टाफिंग पैटर्न शब्द का उल्लेख नहीं है। यही नहीं केंद्र सरकार से लेकर स्वयं उत्तराखंड सरकार के 17 फरवरी 2017 को हुए आदेश में भी कहीं स्टाफिंग पैटर्न शब्द नहीं है। वित्त के अफसरों ने स्टाफिंग पैटर्न शब्द की गलत व्याख्या करते हुए जानबूझ कर इस शब्द को जोड़ कर विवाद खड़ा करने का प्रयास किया है। मिनिस्टीरियल कर्मचारियों का उत्पीड़न कर आर्थिक नुकसान पहुंचाने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। कहा कि ऐसा न होने पर हजारों मिनिस्टीरियल कर्मचारी आंदोलन को विवश होंगे।