शहीदी दिवस के अवसर पर नई पेंशन के खिलाफ कर्मचारियों ने किए ट्वीट, पुरानी पेंशन को सोशल मीडिया पर चला अभियान 

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शहीदी दिवस के अवसर पर नई पेंशन के खिलाफ कर्मचारियों ने किए ट्वीट, पुरानी पेंशन को सोशल मीडिया पर चला अभियान

देहरादून।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 23 मार्च को राज्य के समस्त एनपीएस कर्मियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर सोशल मीडिया के ट्विटर पर अभियान चलाया। सभी कार्मिकों ने नई पेंशन व्यवस्था को गलत बताते हुए सरकार से पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की मांग की।
मोर्चा अध्यक्ष अनिल बड़ोनी ने कहा कि 23 मार्च के दिन भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु ने अपनी शहादत देकर देश में क्रांति की लहर को जन्म दिया था। आज उन्हीं की याद में सभी कर्मचारी पुरानी पेंशन के लिए आंदोलन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मोर्चा से जुड़े कर्मचारियों ने राज्य के विभिन्न जिलों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए। सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया।
मोर्चा महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि हमारे देश में देश सेवा को दो भागों में बांट दिया गया है। जो कि एक असमानता है। इसमें से पहली देश सेवा वह है जो 5 वर्ष के लिए चुना गया विधायक या सांसद करता है। दूसरी ओर वह देश सेवा है जो एक प्रतियोगी परीक्षा प्राप्त करने के बाद कर्मचारी 30 से 40 वर्षों तक करता है। विधायक, सांसद को तो पुरानी पेंशन का प्रावधान है, लेकिन कर्मचारियों को नहीं। कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद दर दर भटकना पड़ रहा है। इसके खिलाफ आवाज बुलंद की जाएगी।
दूसरी ओर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन आंदोलन को मंगलवार को कई कर्मचारी संगठनों ने अपना समर्थन दिया। अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने बताया कि एससी एसटी संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के अध्यक्ष मटल लाल, उपाध्यक्ष संदीप कुमार ने समर्थन पत्र दिया। इसके साथ उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी अपना समर्थन दिया।

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