बर्खास्तगी नोटिस पर परिषद ने भी खोला मोर्चा, समय पर पूरी हों मांगे, तो कभी नहीं होंगे आंदोलन, हड़ताल, पदाधिकारियों ने कहा कि समय पर मांगे पूरी हों
देहरादून।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की बैठक में भी सरकार के आंदोलन पर कर्मचारियों को बर्खास्त किए जाने वाले नोटिस पर चर्चा हुई। पदाधिकारियों ने कहा कि समय पर मांगे पूरी हो जाएं, तो कभी भी आंदोलन, हड़ताल की नौबत ही पैदा न हो। उन्होंने अफसरों पर हड़ताल की नौबत खड़ी करने का आरोप लगाया।
परिषद की बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार ने चेतावनी दी है कि कर्मचारी आंदोलन, हड़ताल करेंगे, तो बर्खास्त किया जाएगा। जबकि समीक्षा इस बात की होनी चाहिए कि वे कौन से अफसर हैं, जिनके कारण कर्मचारियों को हड़ताल जैसे कदम उठाने पड़ते हैं। क्यों अभी शासन स्तर पर दिए गए आश्वासनों को पूरा नहीं किया गया। क्यों अभी तक एसीपी की पुरानी व्यवस्था 10, 16, 26 वर्ष को लागू नहीं किया जा रहा है। जबकि कई बार आश्वासन देने के साथ ही समझौता हो चुका है। क्यों नियमित रूप से इन समझौतों की समीक्षा नहीं की जाती है। पदोन्नति में शिथिलता का लाभ अभी तक नहीं मिला है।
गोल्डन कार्ड की विसंगतियां अभी तक दूर नहीं हुई हैं। आउटसोर्स, दैनिक वेतन, संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण के मसले अभी तक उलझे हुए हैं। तबादला एक्ट में 50 वर्ष से अधिक की महिला और 52 वर्ष से अधिक के पुरुषों को छूट नहीं दी गई है। इन्हीं मांगों को लेकर कर्मचारी आंदोलन करने के विवश हैं। क्योंकि शासन स्तर पर वार्ता का क्रम तक टूट गया है। इसीलिए आंदोलन की नौबत पैदा होती है। बैठक में ठाकुर प्रहलाद सिंह, नंदकिशोर त्रिपाठी, अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट, गुड्डी मटूडा, पीके वर्मा, सुनील देवली, आईएम कोठारी, हर्षमणि नेगी आदि मौजूद रहे।
फ्रंट लाइन वर्कर का 50 लाख का हो बीमा
परिषद पदाधिकारियों ने कोविड फ्रंट लाइन वर्कर का 50 लाख का बीमा कराने की मांग की। कहा कि कोरोना से लड़ने वाले फ्रंट लाइन वर्कर को सामाजिक सुरक्षा दी जाए। ऑफिसों में उपस्थिति को 50 प्रतिशत किया जाए।