बिजली कर्मचारी 28 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अडिग, विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में हड़ताल जारी रखने पर लगी मुहर, तीनों निगमों के प्रबंधन और शासन पर कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी का लगाया आरोप 

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बिजली कर्मचारी 28 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अडिग, विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में हड़ताल जारी रखने पर लगी मुहर, तीनों निगमों के प्रबंधन और शासन पर कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी का लगाया आरोप

देहरादून।

विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में 28 मई से हड़ताल जारी रखने पर मुहर लगी। तय हुआ कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी जाएगी। क्योंकि बिजली कर्मचारियों की मांगों पर शासन समेत तीनों निगमों के प्रबंधन ने कोई कदम नहीं उठाया।
मोर्चा की ऑनलाइन बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 की महामारी के प्रकोप के कारण राज्य में विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो हैं। इसके कारण समूचा स्वास्थ्य तंत्र ओवर लोडेड है| सभी सेवाओं के मूल में विद्युत आपूर्ति की 24 घंटे निरंतरता बहुत जरूरी है। इस आपातकाल के समय में संगठनों द्वारा राज्य की जनता के हितों के लिए तथा विद्युत आपूर्ति की निरंतरता की महत्व को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था कि 13 मई से 27 मई तक आंदोलन कार्यक्रम में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रम जिसमें गेट मीटिंग तथा विशाल रैली का आयोजन था, को स्थगित किया जाता है| 28 मई की प्रथम पाली से होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल पर निर्णय अगली मीटिंग में होगा।
सभा की अध्यक्षता प्रदीप कंसल तथा संचालन संयोजक इन्सारूल हक ने करते हुए कहा कि आज की सभा में मुख्य रूप से 28 मई से तीनों ऊर्जा निगमों में पूरे राज्य में हड़ताल किए जाने के निर्णय को यथावत रखा गया। तीनों ऊर्जा निगमों के सभी नियमित संविदा, सेल्फ हेल्प ग्रुप के कर्मचारी 28 मई की प्रथम पाली से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे|
आज की सभा में इंजीनियर पंकज सैनी, अमित रंजन, मुकेश कुमार, सुधीर कुमार सिंह, आनंद सिंह रावत, विनोद कवि, सन्दीप शर्मा, प्रदीप कंसल, प्रेम भट्ट, दीपक पाठक, एसके थपलियाल, केहर सिंह, डीसी घ्यानी, मोहम्मद रियाज, विशाल गुप्ता, विक्की दास, भानु जोशी, प्रमोद कुमार, वाईएस तोमर, सुनील मोगा, मोहम्मद अनीस, विवेक कुमार आदि ने अपने विचार रखे|

तीनों प्रबंधन से नाराज कर्मचारी
सभा में सभी वक्ताओं ने तीनों नियमों के प्रबंध निदेशकों की संवेदनहीनता पर खेद व्यक्त किया। क्योंकि पर्याप्त समय होने के बाद भी ना तो समस्याओं पर कोई कार्यवाही की गई तथा ना ही कोई संवाद संगठनों के साथ किया गया। निगम प्रबंधन पर आंदोलन को उकसाने का आरोप लगाया गया।

कोरोना काल के शहीदों के परिजनों को सहायता नहीं
पदाधिकारियों ने कहा कि तीनों ऊर्जा निगमों में लगभग 25 कर्मचारी कोरोना काल में शहीद हो चुके हैं। अभी तक किसी को कोई वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की गई। ना ही किसी पीड़ित परिवार को रोजगार प्रदान किया गया।

दिसंबर 2017 का समझौता कब होगा लागू
पदाधिकारियों ने कहा कि दिसंबर 2017 का समझौता कब लागू होगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं हैं। इसमें पुरानी एसीपी का लाभ देने, वेतन विसंगति दूर करने, चयनमान वेतनमान देने का आश्वासन दिया गया था। साढ़े तीन साल बाद भी आज तक मांगों के निस्तारण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।

कर्मचारियों को कब लगेगी वैक्सीन
पदाधिकारियों ने आपदा काल में रात दिन काम करने के बाद भी विद्युत निगम के नियमित, संविदा तथा सेल्फ हेल्प ग्रुप के कार्मिकों को कोविड वैक्सीन उपलब्ध न कराने असंतोष प्रकट किया। कहा कि इससे उनकी जान को काफी खतरा उत्पन्न है। कई साथी शहीद हो चुके हैं। काफी लोग कोरोनावायरस से जूझ रहे हैं। शासन-प्रशासन जानबूझकर ऊर्जा निगम के कार्मिकों को फ्रंटलाइन वारियर्स से बाहर रखे हुए है।

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