राज्य के इंजीनियरों के पदों पर यूपी, बिहार, दिल्ली के लोगों की नियुक्ति, जल निगम मैनेजमेंट कार्रवाई की बजाय बचाव में उतरा

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राज्य के इंजीनियरों के पदों पर यूपी, बिहार, दिल्ली के लोगों की नियुक्ति, जल निगम मैनेजमेंट कार्रवाई की बजाय बचाव में उतरा

पेयजल निगम में असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर के आरक्षित पदों पर राज्य से बाहर के लोगों को नौकरी दे दी गई। 2005 में हुई भर्ती प्रक्रिया में ये गड़बड़ी हुई है। शासन इस मामले में जांच बैठा चुका है। जांच जल निगम के अफसरों को करनी थी। जांच में ये साफ हो गया है कि बड़ी संख्या में एससी, ओबीसी, महिला कोटे में यूपी, बिहार, दिल्ली के लोगों को नौकरी दी गई। बावजूद इसके जल निगम मैनेजमेंट के इस मामले में सुर नरम हैं। एमडी का तर्क है कि 17 साल की नौकरी के बाद कार्रवाई ठीक नहीं है।
पेयजल निगम में 2005 में पंजाब यूनिवर्सिटी को असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर के पदों पर भर्ती का जिम्मा दिया गया था। पंजाब यूनिवर्सिटी ने परीक्षा कराने के बाद चयनित लोगों की सूची पेयजल निगम प्रबंधन को सौंप दी थी। इसके बाद जल निगम स्तर पर एक चयन समिति गठित की गई। इस चयन समिति पर चयनित लोगों को नियुक्ति देने का जिम्मा था। नियुक्ति देने से पहले सभी अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों, दस्तावेजों की जांच की जानी थी। इस जांच प्रक्रिया में जांच समिति ने गड़बड़ी की। दस्तावेजों की पड़ताल आंख बंदकर की गई। यही वजह रही जो राज्य से बाहर के लोगों को एससी, ओबीसी, महिला कोटे में पेयजल निगम में असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर के पदों पर नियुक्ति दे दी। कुछ सालों बाद आरटीआई में इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ। इसकी शिकायत हुई, तो शासन ने जांच बैठा दी। पेयजल निगम एमडी को इस मसले में जांच करने के निर्देश दिए गए थे। जल निगम में पहले इस जांच को काफी लटकाया गया। बाद में दस्तावेजों की पड़ताल हुई, तो मालूम चला कि बड़ी संख्या में बाहरी लोग नियुक्ति पा चुके हैं। ये स्पष्ट होने के बाद भी जल निगम मैनेजमेंट इस मामले में आंख मूंदने की तैयारी में है। शासन के लिए गोलमोल रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

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