राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ओर उत्तराखंड सरकार ने बढ़ाए कदम, सलाहकार उच्च शिक्षा प्रोफेसर एमएसएम रावत की अध्यक्षता में बनी कमेटी

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ओर उत्तराखंड सरकार ने बढ़ाए कदम, सलाहकार उच्च शिक्षा प्रोफेसर एमएसएम रावत की अध्यक्षता में बनी कमेटी
कमेटी 40 दिन के भीतर देगी सुझाव, कमेटी में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को किया गया शामिल
जीटी रिपोर्टर, देहरादून
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ओर उत्तराखंड सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। सरकार ने सलाहकार उच्च शिक्षा प्रोफेसर एमएसएम रावत की अध्यक्षता में कमेटी बना दी गई है। नीति को किस तरह राज्य में लागू किया जाए, इसके लिए नीति का विस्तृत अध्ययन होगा। समिति 40 दिन के भीतर अपने सुझाव शासन के समक्ष रखेगी।
सचिवालय में सोमवार को नई शिक्षा नीति को उच्च शिक्षा से जुड़े सभी विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया। सर्व सहमति से राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विस्तृत अध्ययन को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में राज्य विश्वविद्यालयों के सभी कुलपति, निदेशक उच्च शिक्षा, उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति व शासन स्तर से सचिव स्तर के अधिकारी बतौर सदस्य रहेंगे।
बैठक में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा आनन्द वर्द्धन, उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति डॉ बीएस बिष्ट, दिप्ती रावत, कुलपति मुक्त विश्वविद्यालय प्रो ओपीएस नेगी, कुलपति श्रीदेव सुमन विवि प्रो पीपी ध्यानी, कुलपति तकनीकि विवि प्रो एनएस चौधरी, कुलपति कुमांउ विवि डॉ एनके जोशी, कुलपति सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा प्रो एनएस भण्डारी, अपर सचिव डीके चौधरी, प्रो एमएसएम रावत, प्रो के.डी पुरोहित, निदेशक उच्च शिक्षा डा कुमकुम रौतेला, संयुक्त निदेशक डॉ पीके पाठक, प्रो एचसी पुरोहित, अपर सचिव झरना कमठान, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा रवनीत चीमा, संयुक्त सचिव एमएम सेमवाल, कुलसचिव सुधीर बुडाकोटी, बीसी जोशी, एमएस मन्दरवाल आदि मौजूद रहे।

राज्य शिक्षा आयोग का होगा गठन
विशेषज्ञों ने राज्य शिक्षा आयोग के गठन पर जोर दिया। कहा कि राज्य के महाविद्यालयों को स्वायतशासी महाविद्यालय, विश्वविद्यालयों को बहुविषय विश्वविद्यालय बनाया जाए। कोर्स स्ट्रक्चर तैयार किए जाएं। वार्षिक परीक्षा प्रणाली खत्म कर सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया जाए। क्रेडिट बेस सिस्टम लागू हो। हर जिले में समावेशी महाविद्यालय बनाए जाएं।

छात्रों को मिलेगा लाभ
उच्च शिक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि बहुविषयक शिक्षा के प्रावधान के तहत स्नातक उपाधि तीन या चार वर्ष की होगी। छात्रों को किसी भी विषय या क्षेत्र में एक साल पूरा करने पर प्रमाण पत्र, दो साल पूरा करने पर डिप्लोमा, तीन वर्ष की अवधि के बाद स्नातक की डिग्री मिलेगी। चार वर्ष के कार्यक्रम में शोध सहित डिग्री दी जाएगी। पीएचडी के लिए या तो स्नातकोतर डिग्री या शोध के साथ चार वर्ष की स्नातक डिग्री अनिवार्य होगी। नई शिक्षा के तहत तीन प्रकार के शिक्षण संस्थान होंगे। इसमें अनुसंधान विश्वविद्यालय, शिक्षण अनुसंधान, स्वायत महाविद्यालय शामिल है। जबकि एफिलेटिंग विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों का कांसेप्ट पूरी तरह समाप्त होगा।

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