शिफन कोर्ट के प्रभावितों की उक्रांद ने उठाई मांग, सीएम के सामने रखा पक्ष
देहरादून।
मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट के लिए शिफन कोर्ट से हटाए गए प्रभावितों ने उक्रांद अध्यक्ष दिवाकर भट्ट के जरिए सीएम त्रिवेंद्र रावत तक अपनी बात पहुंचाई। उक्रांद अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से प्रभावितों के पुनर्वास की मांग की।
अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने बताया कि प्रस्तावित रोपवे के लिए मसूरी किताबघर बस अड्डे के पास शिफनकोर्ट (छप्पन कोट) में दशकों से रह रहे मूल नागरिकों के घरों को उजाड़ दिया गया है। अधिकतर प्रभावित टिहरी, चमोली के मूल निवासी हैं, जो रोजगार की तलाश में मसूरी आए। पांच पीढ़ियों से मेहनत मजदूरी कर अपना घर चला रहे थे। इनके पास राशन कार्ड, गैस कनेक्शन, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पालिका का मजदूर लाइसेंस, स्थाई प्रमाण पत्र समेत तमाम दस्तावेज शिफनकोर्ट के नाम से ही हैं।
कहा कि वर्ष 2013 में पर्यटन विभाग और नगर पालिका मसूरी के बीच सहमति बनी थी कि मजदूरों के आवास तोड़ने से पहले उनके पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था की जाएगी। बावजूद इसके पुलिस की मौजूदगी में लोगों को बेघर किया गया। कोरोना महामारी, बेरोजगारी के दौर में लोगों को परिवार सहित सड़क पर ला दिया गया है। मजबूरन लोगों को पार्किंग स्थल में रहना पड़ रहा है, जोकि सीधे तौर पर मानवाधिकार का हनन है। कहा कि जिस तरह मलिन बस्ती के अवैध कब्जों को वैध करने को सरकार मालिकाना हक दे रही है। उसी तरह राज्य के इन मूल निवासियों को भी राहत दी जाए। इसके लिए नगर पालिका को निर्देश दिए जाएं। निशुल्क भूमि देने के साथ ही आवास निर्माण को भी पैसा दिया जाए। तत्काल राहत के तौर पर बाजार दर पर भवन किराया दिया जाए। राशन का इंतजाम किया जाए। प्रतिनिधिमंडल में एपी जुयाल, प्रदीप भंडारी आदि मौजूद रहे।