गंगा के बाद अब साफ होंगी कुमाऊं की नदियां, 228 करोड़ का प्लान तैयार, आठ नदियों में गिर रहे 63 नाले होंगे साफ
देहरादून।
गंगा के बाद अब सरकार का फोकस कुमाऊं की नदियों को साफ करने पर है। इसके लि 228 करोड़ का प्लान तैयार किया गया है। आठ नदियों में गिर रहे 63 नाले टैप करते हुए साफ किए जाएंगे।
गंगा में गिरने वाले गंदे नालों को टैप करने के साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के अधिकतर काम पूरे हो गए हैं। अब पूरा फोकस गंगा की सहायक नदियों के साथ ही कुमाऊं की नदियों की सफाई पर है। इसके लिए कुमाऊं, गढ़वाल की आठ नदियों में गिरने वाले 63 नालों को टैप करने के साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार होंगे।
गंगा नदी से जुड़े आठ प्रोजेक्ट का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ही उद्घाटन किया। इसके बाद कार्यदायी संस्था जल निगम ने कुमाऊं और गढ़वाल की नदियों में गिरने वाले नालों को टैप करने के प्रस्ताव नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा निदेशालय को भेजे हैं। 228 करोड़ के आठ प्रोजेक्ट भेजे गए हैं। इसमें गंदे नालों को टैप किया जाएगा। जो सीधे गंगा नदी में जाने की बजाय सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में आएंगे। यहां से साफ होने के बाद प्लांट से निकला साफ पानी गंगा में पहुंचेगा।
यहां होना है कुमाऊं में काम
कुमाऊं में ढेला, भेला, किच्छा, कल्याणी, कोसी, पिलखर, देहरादून में सुसवा नदी पर काम होगा। यहां ढेला नदी पर छह नाले, तीन भेला में, छह किच्छा, 40 कल्याणी, तीन कोसी, तीन पिलखर, दो सुसवा नदी में गिरते हैं। इन नालों के टैप होने से गंदगी इन नदियों के जरिए गंगा में नहीं जाएगी। गंगा की सहायक नदी मंदाकिनी
गंगा के बाद अब कुमाऊं और गढ़वाल में गंगा की सहायक नदियों पर काम किया जा रहा है। इसके लिए कुमाऊं की नदियों को लेकर 228 करोड़ के प्रोजेक्ट केंद्र को भेज दिए गए हैं। एनजीटी ने भी गंगा के अलावा दूसरे स्थानों पर नौ स्थान ऐसे पाए थे, जहां नालों को टैप करने के साथ ही एसटीपी तैयार करने की जरूरत है।
केके रस्तोगी, महाप्रबंधक गंगा
यमुना को लेकर चल रही स्टडी
गंगा के बाद यमुना नदी को भी साफ बनाने को स्टडी की जा रही है। यमुनोत्री से लेकर उत्तराखंड की सीमा कुल्हाल तक नदी किनारे बसे शहरों, संस्थानों से निकलने वाली सीवर की गंदगी और कूड़े को नदी में गिरने से रेाकने का प्लान तैयार होगा। हालांकि जल निगम के अफसरों की माने तो गंगा के मुकाबले यमुना की स्थिति कहीं अधिक बेहतर है। इस नदी किनारे बसे शहरों बड़कोट, हत्यारी, कालसी, डाकपत्थर, विकासनगर, हर्बटपुर, कुल्हाल तक न तो बड़ी संख्या में शहरी आबादी है और न ही होटलों से निकलने वाली गंदगी। इस वजह से यमुनोत्री की स्थिति सफाई के मामले में बेहतर है।
शेष बचे कार्यों को निपटाने की तैयारी
गंगा नदी में बचे शेष कार्यों को भी जल्द निपटाने की तैयारी है। जोशीमठ में तीन और श्रीकोट में दो नालों को टैप करते हुए तीन एसटीपी तैयार होने हैं। इनका काम पूरा करने का लक्ष्य दिसंबर और मार्च तक रखा गया है।