इसीलिए बाकी सरकारों से अलग है त्रिवेंद्र सरकार – बेदाग साढ़े तीन साल में कई नये आयाम स्थापित – सपनों का गैरसैंण बना हकीकत में ग्रीष्मकालीन राजधानी 

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इसीलिए बाकी सरकारों से अलग है त्रिवेंद्र सरकार
– बेदाग साढ़े तीन साल में कई नये आयाम स्थापित
– सपनों का गैरसैंण बना हकीकत में ग्रीष्मकालीन राजधानी

देहरादून।

उत्तराखंड सरकार ने अपने साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। 2007 के बाद यह पहली बार हुआ है कि राज्य में कोई सीएम स्थिर सरकार दे सका है। इस साढ़े तीन साल की अवधि में त्रिवेंद्र सरकार ने विकास के कई सोपान हासिल किये हैं। शहीदों के सपनों को साकार किया है। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया है जो कि पिछले 20 साल से कोई भी दिग्गज नेता नहीं कर पाया था। इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार का अब तक का कार्यकाल बेदाग रहा है। उनकी भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की नीति कामयाब रही है और इस कारण वो प्रदेश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गये हैं। सुशासन और पारदर्शिता उनकी सरकार की बड़ी उपलब्धियां रही हैं।

बेेदाग रहे हैं सीएम त्रिवेंद्र के साढे़ तीन साल
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 3.5 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इस अवधि में उन्होंने जनता से किये 80-85 प्रतिशत वादे पूरे कर लिए हैं। ई-कैबिनेट, ई-आफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हेल्पलाईन 1905, सेवा का अधिकार और ट्रांसफर एक्ट की पारदर्शी व्यवस्था के चलते कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस सरकार की प्रमुख नीति है। इन्वेस्टर्स समिट के बाद पहले चरण में 25 हजार करोड़ रूपए से अधिक के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। अगले डेढ़ वर्ष में इसे 40 हजार करोड़ तक करने का लक्ष्य रखा गया है।

कोरोना के खिलाफ मजबूती से जंग लड़ रही सरकार
वैश्विक कोरोना महामारी का प्रकोप उत्तराखंड में भी है। त्रिवेंद्र सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती सरकारों के मुकाबले में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हुई हैं। कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ग्रामीण स्तर पर भी स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित किया जा रहा है। एयरएम्बुलेंस की सेवा शुरू कर दी है। जिला अस्पतालों मे भी आईसीयू और वेंटीलेटर की सुविधाएं दी गई हैं। सर्विलांस, सेम्पलिंग, टेस्टिंग पर फोकस किया जा रहा है। वर्तमान में 5 सरकारी और विभिन्न प्राईवेट लेब में कोविड-19 के सेम्पल की जांच की जा रही है। वर्तमान में 481 आईसीयू बेड, 543 वेंटिलेटर, 1846 आक्सीजन सपोर्ट बेड, 30500 आईसोलेशन बेड उपलब्ध हैं।
प्रवासियों को रोजगार से जोड़ने की मुहिम
कोरोना के समय प्रदेश में लगभग साढे तीन लाख लोग वापस अपने गांव लौटे हैं। प्रवासियों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए त्रिवेंद्र सरकार ने एक बड़ी पहल की है। होप पोर्टल को लांच किया है साथ ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रवासियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उनके कार्यकाल में अब तक सात लाख 12 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया। राज्य के युवाओं, प्रवासियों और किसानों को सौर ऊर्जा के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसमें 10 हजार युवाओं को स्वरोजगार का लक्ष्य रखा गया है। 25 किलोवाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इसमें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत दिए जाने वाले ऋण, अनुदान आदि लाभ अनुमन्य किये जायेंगे। इसके अलावा वन विभाग में भी दस हजार युवाओं को रोजगार देने की व्यवस्था की जा रही है।

नए पर्यटन केद्रो का विकास
13 डिस्ट्रिक्ट-13 न्यू डेस्टीनेशन से नए पर्यटन केंद्रों का विकास हो रहा है। होम स्टे योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। विभिन्न रोपवे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। जलसंरक्षण और जलसंवर्धन पर काफी काम किया गया है। प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए व्यापक जनअभियान शुरू किया गया है। युवाओं कोे साहसिक पर्यटन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। टिहरी झील और सतपुली में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की गतिविधियां चल रही हैं।

भ्रष्टाचार पर जोर का वार
जीरो टालरेंस के दावे को और पुख्ता करने के लिए त्रिवंेद्र सरकार ने शासन स्तर पर भ्रष्टाचार के बड़े मामलों की अब गोपनीय जांच नहीं होगी। अब खुली जांच कराई जाएगी और एफआइआर भी दर्ज करनी होगी। इसी तरह सरकारी विभागों को कोई भी जांच एक साल में विजिलेंस को ट्रांसफर करनी होगी। इसके अलावा विजिलेंस निदेशक संदिग्ध मामलों में स्वयं संज्ञान ले सकेंगे। ए शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्रैप और इन्वेस्टीगेशन की व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने पर जोर दिया है। ट्रैपिंग व्यवस्था में लापरवाही करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है। विभाग को विजिलेंस को ट्रांसफर करने वाले काम एक साल में पूरा करना होगा।

फ़िल्म इंडस्ट्री का बड़ा ठिकाना बना उत्तराखंड
कोरोना काल में देश के प्रख्यात सिंगर जुबिन नौटियाल ने हाॅलीबुड की नामी कंपनी इनीसिएशन स्टूडियो के साथ मिलकर मसूरी और धनौल्टी में शूटिंग की है। जुबिन ने मसूरी में ही उत्तराखंडी कलाकारों को लेकर एक गाना दिल चाहते हो की शूटिंग भी मसूरी में की और यह गाना अब तक सात करोड़ से भी अधिक लोग देख चुके हैं। जुबिन मानते हैं कि उत्तराखंड में बालीवुड और हाॅलीवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए बेहतरीन लोकेशन हैं।
गर किसी राज्य में एक साल के छोटे से वक्फे के दौरान 180 फिल्मों, टीवी धारावाहिकों और डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग हो तो इस तथ्य को स्वीकारने में किसी को गुरेज नहीं होगा कि शूटिंग के अनुकूल वातावरण और सुविधाओं की उपलब्धता के कारण ही यह संभव हुआ। यही वजह रही कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में पहली दफा शामिल की गई श्रेणी मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का पुरस्कार सीधे उत्तराखंड की झोली में आ गया। त्रिवेंद्र सरकार की फिल्म नीति के यह सकारात्मक परिणाम निकले हैं। इसी कारण उत्तराखंड को 66 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला है। फिल्म नीति में शामिल प्रावधानों का ही असर रहा कि पिछले एक वर्ष में 180 फिल्मों, धारावाहिक, डाक्यूमेंट्री आदि की शूटिंग उत्तराखंड में की गई। वैसे वर्ष 2017 के बाद से उत्तराखंड में 220 से ज्यादा फिल्में और धारावाहिक शूट किए जा चुके हैं।

आयुष्मान योजना बनी है राज्य के लोगों का बड़ा सहारा
आयुष्मान योजना के दूरगामी परिणाम
आयुष्मान भारत योजना के 2 वर्ष पूरे हो गये हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखण्ड में इस योजना को और विस्तार देते हुए राज्य के सभी परिवारों को शामिल किया है। संपूर्ण आबादी को कैशलेस उपचार प्रदान करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। अभी तक राज्य में 2 लाख से अधिक मरीजों को इसके तहत उपचार मिल चुका है। इसमें राज्य सरकार 191 करोड़ से अधिक व्यय कर चुकी है। राज्य के लोगों के लिए नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा लागू है।

राज्य के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है सरकार
इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अंतर्गत 2017 से 2020 तक 59 परीक्षाएं आयोजित की गईं, जिनमें 6000 पदों पर चयन पूर्ण किया गया। 7200 पदों पर अधियाचन भर्ती प्रक्रिया गतिमान है। मनरेगा में प्रति वर्ष 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है। कोविड-19 के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है। गैरसैंण में राजधानी के अनुरूप आवश्यक सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना बनाई जा रही है। चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक-हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है।

किसानों को 3 लाख रुपये और महिला स्वयं सहायता समूहों को 3 लाख रुपये तक का ऋण बिना ब्याज उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के गन्ना किसानों को अवशेष गन्ना मूल्य का शत-प्रतिशत भुगतान सुनिश्चित किया गया है। सभी न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। 100 से अधिक ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी भी दी जा चुकी है। बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं। हर गांव में बिजली पहुंचाई गई है। केंद्र सरकार द्वारा लगभग एक लाख करोड़ रूपए की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत हुई हैं। इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियोजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, भारत नेट फेज -2 परियोजना, एयर कनेक्टिविटी पर किया जा रहा काम मुख्य है। उत्तराखण्ड पहला राज्य है जहां उड़ान योजना में हेली सेवा प्रारम्भ की गई है। श्री बदरीनाथ धाम का भी मास्टर प्लान बनाया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रहरियों के मानदेय, विभिन्न वर्गों की पेंशन और विशिष्ट सेवा पदक से अलंकृत सैनिकों को अनुमन्य राशि में बढ़ोतरी की गई है।

त्रिवेंद्र सरकार को मिले सम्मान
● स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखंड को सात पुरस्कार मिले हैं।
● ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान में ऊधमसिंह नगर जिले को देश के सर्वश्रेष्ठ 10 जिलों में चुना गया।
● उत्तराखंड को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दूसरी बार कृषि कर्मण प्रशंसा पुरस्कार दिया गया।
● जैविक इंडिया अवार्ड 2018 के साथ ही मनरेगा में देशभर में सर्वाधिक 16 राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को मिले।
● मातृत्व मृत्यु दर में सर्वाधिक कमी के लिए उत्तराखण्ड को भारत सरकार से पुरस्कृत किया गया है।

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