न सुरक्षा उपकरण, न ट्रेनिंग, हर साल जान गंवा रहे बिजली कर्मचारी
देहरादून।
ऊर्जा निगम में हर साल बड़ी संख्या में उपनल समेत स्वयं सहायता समूह के कर्मचारियों की करंट लगने से मौत हो रही है। पिछले कुछ सालों में 15 से ज्यादा उपनल, एसएचजी कर्मचारियों की करंट लगने से मौत हो चुकी है। 20 से ज्यादा संविदा कर्मचारी घायल होने के साथ ही आजीवन अपंगता के शिकार हो चुके हैं। ऐसा कर्मचारियों को बेहतर उपकरण और प्रशिक्षण न मिलने के कारण हो रहा है। खतरनाक लाइनों पर काम करने का असल जिम्मा उपनल, एसएचजी कर्मचारियों पर है। इनके लिए सेफ्टी बेल्ट, अर्थ चेन, गलव्स, हेलमेट अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाना जरूरी है। बावजूद इसके किसी भी कर्मचारी के पास ये उपकरण नजर नहीं आते। यूपीसीएल के स्तर पर कई तरह की लापरवाही बरती जा रही है। न तो उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। न ही प्रशिक्षण की व्यवस्था है। ऊपर से एसएचजी के ठेकेदार कैसे ठेका कर्मचारियों से काम करा रहे हैं, इसकी भी जांच पड़ताल नहीं कराई जाती। अप्रशिक्षित ठेका कर्मचारियों के लाइन पर काम करने से भी हादसे हो रहे हैं। करंट लगने से मौत की अधिकतर घटनाएं सेफ्टी बेल्ट और अर्थ चेन का प्रयोग न करने से हो रही हैं। एक्सपर्ट की माने तो यदि कर्मचारी ने लाइन पर काम करने के दौरान सेफ्टी बेल्ट, अर्थ चेन, गलव्स, हेलमेट का इस्तेमाल किया हो, तो जानमाल का खतरा न के बराबर रहता है। शटडाउन के बावजूद यदि लाइन पर करंट आता है, तो अर्थ चेन के कारण लाइन ट्रिप हो जाएगी। सेफ्टी बेल्ट से झटका लगने के बावजूद कर्मचारी पोल से नीचे नहीं गिरेगा।
सचिव ऊर्जा की सख्ती के बाद बन रही व्यवस्था
यूपीसीएल ने अब सचिव ऊर्जा राधिका झा के दबाव के बाद आदेश जारी किए हैं। मुख्यालय से जारी आदेश में सभी अधिशासी अभियंताओं को कर्मचारियों का प्रशिक्षण सुनिश्चित कराने के आदेश दिए गए हैं। पर्याप्त संख्या में सुरक्षा उपकरण का इंतजाम किए जाने के निर्देश दिए गए। एमडी यूपीसीएल नीरज खैरवाल ने सभी इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।