सचिवालय संघ अध्यक्ष दीपक जोशी के खिलाफ क्यों न की जाए दंडात्मक कार्रवाई, 14 दिन में जवाब दें, अपर सचिव गृह की जांच रिपोर्ट के बाद सचिवालय प्रशासन ने मांगा जवाब
जांच रिपोर्ट में कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली का ठहराया गया दोषी
देहरादून।
उत्तराखंड सचिवालय संघ और उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी के खिलाफ अपर सचिव गृह कृष्ण कुमार वीके की जांच पूरी हो गई है। जांच में उन्हें कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली का दोषी ठहराया गया है। जांच रिपोर्ट पर सचिवालय प्रशासन ने दीपक जोशी को नोटिस देते हुए 14 दिन के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
दीपक जोशी पर उत्तराखंड राज्य आचरण नियमावली 2002 के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप था। आरोप रहा कि बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया में राज्य सरकार और उसकी नीतियों का उनके स्तर से विरोध किया गया। अपने पद और दायित्वों से हट कर सरकार पर टिप्पणी की गई। इन आरोपों पर दीपक जोशी को पूर्व में आरोप पत्र भी दिए गए। आरोप पत्रों के आए जवाबों पर सचिवालय प्रशासन ने जांच अधिकारी के रूप में अपर सचिव गृह कृष्ण कुमार वीके को जिम्मा दिया।
जांच अधिकारी को एक महीने के भीतर जांच पूरी करनी थी। इसे पूरा करने में उन्होंने दो महीने से अधिक का समय लिया। जांच रिपोर्ट में उन्हें उत्तराखंड राज्य आचरण नियमावली 2002 के प्रावधानों के उल्लंघन का दोषी ठहराया गया है। उन्हें भेजे गए नोटिस में पूछा गया है कि उल्लंघन पर क्यों न उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए। जवाब दाखिल करने को उन्हें 14 दिन का समय दिया गया है। नोटिस की सचिव सचिवालय प्रशासन बीएस मनराल ने पुष्टि की। अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर उनसे जवाब मांगा गया है। उन्होंने जांच को पूर्वाग्रह से ग्रस्त बताते हुए उस पर सवाल उठाए।
नोटिस पर भड़की जनरल ओबीसी एसोसिएशन, आंदोलन की तैयारी
अध्यक्ष दीपक जोशी को भेजे नोटिस पर उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन ने सवाल उठाए हैं। एसोसिएशन इसके विरोध में प्रदेश स्तरीय आंदोलन की तैयारी में है। एसोसिएशन के प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि अध्यक्ष दीपक जोशी के खिलाफ प्रताड़ना की मंशा से जांच की गई है। शासन के इशारे पर जांच अधिकारी ने अध्यक्ष के खिलाफ प्रतिकूल रिपोर्ट दी है। शासन के इस षड़यंत्र से एसोसिएशन मंगलवार को पर्दा हटाएगी। किसी भी तरह का उत्पीड़न होने पर प्रदेश स्तरीय आंदोलन होगा।