खींचतान यूपीसीएल और कंपनियों के बीच, नुकसान भुगत रहे उपभोक्ता, सोलर प्लांट को आवेदन कर फंस गए हैं उपभोक्ता, पैसा जमा कराने पर भी नहीं लगे सोलर प्लांट, हर महीने दो से सात हजार रुपये का नुकसान
देहरादून।
घरों की छतों पर तीन किलोवॉट से दस किलोवॉट तक के सोलर प्लांट योजना में आवेदन करने वाले उपभोक्ता परेशान हैं। छह महीने पहले पैसा जमा कराने के बाद भी अभी तक प्लांट नहीं लग पाए हैं। इससे उपभोक्तओं को हर महीने दो से सात हजार रुपये महीने तक का नुकसान हो रहा है। ऐसा यूपीसीएल और सोलर कंपनियों की लापरवाही के कारण हो रहा है।
सरस्वती विहार अजबपुर देहरादून निवासी जयराज सिंह ने योजना का शुभारंभ होते ही आवेदन कर दिया था। तमाम लंबी प्रक्रिया के बाद आवेदन मंजूर हुआ। सितंबर में उन्होंने तीन किलोवॉट सोलर प्रोजेक्ट के लिए 90 हजार रुपये जमा कराए। इसके बाद से वे अभी तक सोलर प्लांट लगने का इंतजार कर रहे हैं। यही स्थिति जोगीवाला निवासी बलवीर सिंह की है। उनके यहां कंपनी अक्तूबर में सोलर के पैनल रखकर चली गई है, लेकिन दोबारा किसी ने सुध नहीं ली है। सहस्त्रधारा रोड निवासी जितेंद्र बेलवाल के यहां अभी तक पैनल भी नहीं पहुंचे हैं। ऋषिकेश श्यामपुर निवासी एलके पैन्यूली ने बताया कि पहले पैनल लाने में समय लगा। पैनल आया, तो मीटर ही नहीं लगा। मीटर लगा, तो उसकी टेस्टिंग के ही नाम पर लंबा समय निकाल दिया गया।
इन तमाम समस्याओं से कोई एक दो नहीं, बल्कि करीब 1000 से अधिक उपभोक्ता जूझ रहे हैं। समय पर प्रोजेक्ट की सब्सिडी जारी न होने के कारण कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। तो यूपीसीएल के कामकाज की सुस्त रफ्तार का खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं को दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक तो उनके सीधे 90 हजार से लेकर पौने तीन लाख रुपये एक साथ डंप हो गए हैं। ऊपर से दो से लेकर सात हजार रुपये महीने की पैदा होने वाली बिजली का उत्पादन भी ठप है।
कंपनियों ने यूपीसीएल पर फोड़ा ठीकरा
सोलर प्लांट लगाने को लेकर यूपीसीएल ने कई कंपनियों को अधिकृत किया है। कंपनियों का तर्क है कि कोरोना संकट में कारोबार पहले ही ठप है। ऊपर से इस प्रोजेक्ट में सब्सिडी समय पर रिलीज नहीं की जा रही है। इससे कंपनियों को नुकसान हो रहा है, क्योंकि इस प्रोजेक्ट में पहले पूरा पैसा कंपनी को ही लगाना पड़ रहा है। इसके साथ ही यूपीसीएल की ओर से प्लांट को लेकर अप्रूवल, मीटर जांच में भी समय लगाया जा रहा है। इसके कारण भी सब्सिडी जारी होने में समय लग रहा है।
1100 लोगों को है इंतजार
अभी तक 12 मेगावाट सोलर प्लांट के तय लक्ष्य में आठ मेगावाट को लेकर आवेदन हो चुके हैं। 1500 लोगों ने आवेदन किए हैं। इसमें भी तीन मेगावाट के रूप में सिर्फ 400 लोगों के घरों में ही प्लांट लग पाए हैं। 1100 लोग अभी भी प्लांट लगने का इंतजार कर रहे हैं।
ये है योजना
घरों की छतों पर तीन किलोवॉट से लेकर दस किलोवॉट तक के सोलर प्लांट लगा सकते हैं। तीन किलोवॉट तक 40 परसेंट और तीन से दस किलोवॉट तक 20 परसेंट सब्सिडी का प्रावधान है। तीन किलोवॉट के प्रोजेक्ट पर डेढ़ लाख का खर्च आता है। 60 हजार सब्सिडी के कारण आवेदक को 91 हजार रुपये जमा कराने हैं। इस प्रोजेक्ट से हर महीने औसत 2144 रुपये और सालाना 25735 रुपये बिजली का उत्पादन होगा। जो आपके बिजली बिल में एडजस्ट होगा। यदि आपका बिजली इससे कम आता है, तो 4.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से यूपीसीएल आपको भुगतान करेगा।
बीच में कंपनियों के पास सामान की दिक्कत रही। चीन से सामान पर प्रतिबंध लगने, किसान आंदोलन के कारण दिक्कत जरूर हुई, लेकिन अब स्थिति ठीक है। यूपीसीएल का पोर्टल भी केंद्रीय एमएनआरई मंत्रालय के पोर्टल से लिंक हो गया है। अब सब्सिडी जारी करने में भी समय नहीं लगेगा।
नीरज टम्टा, मुख्य अभियंता यूपीसीएल नोडल अफसर