राज्य सहकारी बैंक की एजीएम में बटेंगे सोने के सिक्के, 600 करोड़ का घाटा, फिजूलखर्ची में कोई कमी नहीं, दीवाली में भी बांटे गए थे सभी निदेशकों को सोने के सिक्के
देहरादून।
राज्य सहकारी बैंक समेत सभी जिला सहकारी बैंकों पर 600 करोड़ का एनपीए है। बाजार में बांटे गए इस ऋण की वसूली में अफसरों के पसीने छूट रहे हैं। इससे बैंकों का घाटा बढ़ता जा रहा है। इसके बावजूद बैंक की फिजूलखर्ची पर कोई रोक नहीं लग रही है। पहले दिवाली पर बैंक के निदेशकों को सोने के सिक्के बांटे गए। अब सात फरवरी को होने वाली आम सभा में भी सोने के सिक्के बांटने की तैयारी है।
राज्य सहकारी बैंक की सात फरवरी को हल्द्वानी में आम सभा है। सालाना आम सभा में सालों से निदेशकों को गिफ्ट बांटने का सालों से रिवाज चला आ रहा है। यही रिवाज बैंक की वित्तीय हालात पर भारी पड़ रहा है। एजीएम, बोर्ड बैठक, दिवाली, विदेश यात्राओं के नाम समेत तमाम अन्य मौकों पर जमकर आम लोगों का पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। यही नहीं, यहां बैंक में कर्मचारियों, अफसरों को वेतन भी पहले 16 महीने से ज्यादा का दिया जाता रहा है। जो अब कम किया जा रहा है।
राजय सहकारी बैंक और जिला सहकारी बैंकों के ऊपर 600 करोड़ के कर्ज के बाद भी इस तरह की फिजूलखर्ची पर पूरे सिस्टम पर सवाल उठा रही है। वो भी तब जबकि राज्य कोरोना के कारण गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके बाद भी दिवाली के बाद एजीएम में भी 28 हजार रुपये प्रति सोने का सिक्का बांटने की तैयारी है।
अभी तक राज्य सहकारी बैंक और अन्य बैंक कुल 88 करोड़ का एनपीए वसूल चुके हैं। कुल 600 करोड़ से अधिक का बकाया लोगों पर है। इसमें 300 करोड़ राज्य सहकारी बैंक और 300 करोड़ जिला सहकारी बैंकों का पैसा डूबा हुआ है। राज्य सहकारी बैंक की पिछली साल की एजीएम भी खासे हंगामेदार रही थी। एजीएम में कॉपर के महंगे डिनर सेट बांटे गए थे। मंजूरी 16 लाख खर्च की लेने के बावजूद खर्च 22 लाख से ज्यादा का किया गया। उसमें भी बड़ी संख्या में डिनर सेट, बैग लोगों को बांटे ही नहीं गए। इस पर जांच बैठी। जांच में कई अफसरों के खिलाफ कर्रवाई की संस्तुति की गई।
बैंक की एजीएम सात फरवरी को होने जा रही है। पिछली बार दिवाली पर सोने के सिक्के दिए गए। इस बार भी ऐसा विचार हो रहा है। अंतिम फैसला बोर्ड बैठक में होगा। तय रकम से अधिक बजट खर्च नहीं होने दिया जाएगा।
बीएम मिश्रा, एमडी राज्य सहकारी बैंक