जीटी रिपोर्टर देहरादून।
लंबे समय से त्रिवेंद्र सरकार पर नौकरशाही के हावी रहने के आरोप लगते रहे हैं। इन तमाम आरोपों के बीच गुरुवार को त्रिवेंद्र सरकार ने नौकरशाही पर नकेल कसते हुए अफसरों को जमीन दिखाने का काम किया। गुरुवार को दो अफसरों की भूमिका में बदलाव कर सरकार ने सख्त प्रशासन का परिचय दिया। डीएम रुद्रप्रयाग वंदना सिंह को महज साढ़े पांच महीने में अचानक हटा कर सीधे कार्मिक विभाग से अटैच कर दिया। सीएम त्रिवेंद्र रावत की गुरुवार को जल जीवन मिशन समीक्षा बैठक से डीएम नदारद रहीं। जब रुद्रप्रयाग का समीक्षा बैठक में समय आया, तो वहां सीडीओ ही मौजूद रहे। जब उनसे डीएम के न आने की वजह पूछी गई, तो बताया गया कि वो पंडा समाज की बैठक में हैं। इस पर सचिव पेयजल नितेश झा ने सख्त नाराजगी भी जताई। कुछ समय बाद वो बैठक में शामिल जरूर हुईं, लेकिन देर शाम उन्हें जिस अंदाज में डीएम के पद से हटाया गया, उसे सरकार की नाराजगी से जोड़ कर देखा जा रहा है। क्योंकि आमतौर पर जिलाधिकारी के पद से किसी को भी हटाये जाने पर नई तैनाती जरूर की जाती है। इसके साथ ही हटाये जाने पर या तो तैनाती दी जाती है या बाध्य प्रतीक्षा में रखा जाता है। ये पहला मौका है जब किसी आईएएस को कार्मिक विभाग से अटैच किया गया है। इसी तरह अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार से भी उद्योग विभाग लेकर सरकार ने बड़ा संदेश दिया है। उनका महिला बाल विकास विभाग में ज्वाइनिंग न देने से भी सरकार नाराज बताई गई।